Edited By Kuldeep, Updated: 14 Jul, 2025 06:08 PM

पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल उच्च न्यायालय को आदेश दिया कि सरकार अतिशीघ्र सरकार की वन भूमि पर लगे हुए सेब के बगीचों को काट कर उस भूमि पर सरकार का कब्जा करवाए।
पालमपुर (भृगु): पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल उच्च न्यायालय को आदेश दिया कि सरकार अतिशीघ्र सरकार की वन भूमि पर लगे हुए सेब के बगीचों को काट कर उस भूमि पर सरकार का कब्जा करवाए। हिमाचल के एक गांव में 300 बीघा वन भूमि पर कई वर्ष पहले गैरकानूनी कब्जा करके 4,000 सेब के पौधे लगाए गए थे। आज वहां शानदार बगीचा है और सेब के पौधों पर लगे हुए सेब अपनी लाली बिखेर रहे हैं।
अब अदालत के आदेश पर उन पेड़ों को काटा जा रहा है। आज की अखबार में यह समाचार और चित्र देख कर मन बहुत दुखी हुआ। यह एक गांव की कहानी है। पूरे प्रदेश में लाखों-करोड़ों की भूमि पर वर्षों से इस प्रकार के अवैध कब्जे हुए थे। उन्होंने कहा कि सरकार की वन भूमि पर गैरकानूनी कब्जा एक दिन में नहीं हुआ। 4,000 सेब के पौधे लगाने में और उनमें फल आने में वर्षों लगे। जब शुरू में गैरकानूनी कब्जा किया गया और बगीचा लगाया गया तो सरकार कहां थी। आज के समय में हर समय हर जगह सरकार होती है। अधिकारी और कर्मचारी होते हैं, परन्तु भ्रष्टाचार के प्रभाव में चंद चांदी के सिक्कों में सबका ईमान बिकता है और पूरे देश में इस प्रकार की शर्मनाक घटनाएं होती हैं।
शांता कुमार ने कहा कि पूरे देश में बहुत से स्थानों पर अवैध कब्जे होते हैं और लाखों-करोड़ों के भवन बन जाते हैं और किराए पर दे दिए जाते हैं। कई जगह उन भवनों में करोड़ों रुपए का सामान रखकर काम शुरू हो जाता है। वर्षों बाद सारा मामला न्यायालय में पहुंचता है और न्यायालय के आदेश पर उन भवनों को गिराया जाता है। कभी सरकार शुरू में होने वाले उन भ्रष्टाचारी कर्मचारियों को नहीं पूछती, जिनके कारण यह अपराध प्रारम्भ होता है।
कोर्ट से पूछा
शांता कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय से नम्रता से पूछा है कि कई वर्षों के बाद सरकार की वन भूमि पर लगे इन पेड़ों को काटने के आदेश तो दे दिए परन्तु न्यायालय ने यह क्यों नहीं सोचा कि यह अपराध सबसे पहले कब्जा करने और सेब के पौधे लगाने पर हुआ था। न्यायालय ने इसके साथ ही यह आदेश क्यों नहीं दिया कि सबसे पहले अवैध कब्जा होने पर उस समय के कर्मचारी और अधिकारियों पर भी मुकद्दमा चले और उन्हें भी सख्त सजा दी जाए।