Edited By Vijay, Updated: 17 Oct, 2024 12:15 PM
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ सहित माता सीता, शालिग्राम, नरसिंह भगवान और हनुमान जी का मंत्रोच्चारण के साथ विशेष हार-शृंगार किया जाता है।
कुल्लू (दिलीप): अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ सहित माता सीता, शालिग्राम, नरसिंह भगवान और हनुमान जी का मंत्रोच्चारण के साथ विशेष हार-शृंगार किया जाता है। भगवान रघुनाथ का स्नान पंचामृत-दूध, दही, शहद, शक्कर और अन्य तत्वों से किया जाता है। इसके बाद भगवान रघुनाथ को उनके मुख्य छड़ीबरदार द्वारा वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनका शृंगार किया जाता है।
वार अनुसार वस्त्र परंपरा
भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि रघुनाथ को हर दिन दो नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। हर दिन के अनुसार अलग-अलग रंग के वस्त्र तैयार किए जाते हैं, जैसे कि सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, वीरवार को पीला, शुक्रवार को सफेद, शनिवार को नीला और रविवार को लाल वस्त्र पहनाए जाते हैं। विशेष अवसरों पर, भोग के समय भगवान को बिना गोटे वाले रेशम के वस्त्र पहनाए जाते हैं।
माता सीता और हनुमान जी का शृंगार
महेश्वर सिंह ने बताया कि माता सीता को अंग वस्त्र नहीं पहनाया जाता, बल्कि बाहरी वस्त्र लगाए जाते हैं। हनुमान जी को सफेद अंग वस्त्र और बाहरी रंगीन वस्त्र पहनाए जाते हैं।
सम्मान के रूप में दिया जाता है उतरा हुआ वस्त्र
भगवान रघुनाथ का उतरा हुआ वस्त्र विशेष सम्मान के रूप में बग्गा किसी रियासत के राजा को दिया जाता है। इसी तरह नरसिंह भगवान का फरगल किसी वीआईपी, मंत्री, या बड़े अधिकारी को सम्मानस्वरूप प्रदान किया जाता है। यह परंपरा राजा जगत सिंह के समय से चली आ रही है, जब उन्होंने कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के लिए भगवान रघुनाथ को कुल्लू लाया था।
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