Edited By Rahul Rana, Updated: 04 Sep, 2025 07:25 PM
हिमाचल प्रदेश के नूरपुर वन मंडल में खैर की लकड़ी ले जा रही आल्टो गाड़ी पकड़ी गई। गाड़ी में लगभग 35-40 किलो खैर के चिप्स बरामद हुए। हालांकि अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान विरोधाभासी हैं, कुछ दावा निजी भूमि से कटाई का तो कुछ सरकारी भूमि से पेड़ों...
हिमाचल डेस्कः रैहन (दुर्गेश कटोच): 23 अगस्त को नूरपुर वन मंडल के तहत दिनी–हटली विट के बीच खैर का मटेरियल ले जा रही एक आल्टो गाड़ी (नंबर HP40B9954) को वन विभाग की टीम ने पकड़ा। हालांकि इस मामले में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान शुरू से ही विरोधाभासी रहे हैं, जिसके चलते पूरे प्रकरण की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूचना और शुरुआती उलझन
सूत्रों के अनुसार, गाड़ी को नाके के दौरान पकड़ा गया। जब पंजाब केसरी ने 23 अगस्त को दिनी विट के वन राखा सुखविंद्र सिंह से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है, संभव है यह कार्रवाई रे रेंज के अधिकारियों ने की हो। 23 अगस्त को रे रेंज अफसर सतपाल ने भी साफ इनकार किया कि उनकी ओर से ऐसी कोई गाड़ी नहीं पकड़ी गई है और गाड़ी शायद ज्वाली रेंज में पकड़ी गई हो। 23 अगस्त को दिनी विट के फॉरेस्ट गार्ड शशिपाल से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। बाद में जब हम गार्ड के पास उनके निवास पर पहुंचे तो वहां पहले से ही वनराखा सुखविंदर सिंह, अन्य लोग मौजूद थे। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि गदराना पंचायत निवासी पवन को उसकी आल्टो गाड़ी में खैर का मटेरियल ले जाते हुए पकड़ा गया है।
दिनी विट के गार्ड ने बताया पकड़े गए व्यक्ति पवन का कहना है कि खैर की लकड़ी उसने अपनी निजी भूमि से काटी है। वहीं मौके पर मौजूद अन्य व्यक्तियों ने भी दावा किया कि उनके पेड़ भी निजी भूमि से काटे गए हैं। एक व्यक्ति ने यहां तक कहा कि 3 पेड़ सरकारी भूमि से भी काटे गए हैं। हालांकि, 24 अगस्त को गार्ड शशिपाल से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि मौके पर 2 खैर के पेड़ कटे हुए पाए गए, जबकि एक अन्य व्यक्ति के 4 खैर के पेड़ निजी भूमि से ताजे काटे गये है। साथ ही, जिस व्यक्ति ने 3 खैर के पेड़ सरकारी भूमि से काटे जाने की बात कही थी, उसने अब तक मौका नही दिखाया है। बाकी की कार्यवाही निशानदेही होने के बाद होगी निशादेही के लिए वन कानूनगो को लिखा गया है। इसके बारे पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज नही करबाई गई है।
ब्लॉक ऑफिसर फतेहपुर ने बताया कि 23 अगस्त को फतेहपुर के ब्लॉक ऑफिसर ब्रहम सिंह ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि आज सुबह लगभग 5 बजे नाके के दौरान एक गाड़ी पकड़ी गई। गाड़ी में बंद बोरी में लगभग 35–40 किलो खैर के चिप्स जैसे टुकड़े और कुछ छोटे-छोटे टुकड़े (इंच या फुट के आकार के) पाए गए। अभी तक बोरी को खोला नहीं गया है। 25 अगस्त को हुई बातचीत में इन्होंने बताया कि गाड़ी को रे रेंज के क्षेत्र में रे रेंज के अधिकारयों द्वारा पकड़ा गया था और बाद में गाड़ी को ज्वाली रेंज के अधिकारयों को सौप दिया गया। पकड़े गए व्यक्ति पवन का कहना है कि यह खैर की लकड़ी उसकी निजी भूमि से काटी गई है।
पकड़े गए व्यक्ति का बयान
23 अगस्त को पवन ने पंजाब केसरी को बताया कि उसने अपनी जमीन से दो पेड़ काटे थे और यह लकड़ी अपने रिश्तेदार हंसराज (ठेकेदार, हटली पंचायत निवासी) को देने जा रहा था। उसने स्वीकार किया कि वह पहले भी पेड़ काटकर हंसराज को देता रहा है।
भट्टी पर ताजा मटेरियल मिला
सूत्रों पर मिली जानकारी पर 23 अगस्त को पंजाब केसरी के रिपोर्टर ने बडुखर खड्ड के पास स्थित हंसराज की कत्था भट्टी का दौरा किया। मौके पर बड़ी मात्रा में खैर हार्टवुड, खैर वुड और चिप्स पाए गए, जिनमें से कुछ ताजे कटे हुए भी थे। भट्ठी पर मौजूद एक व्यक्ति ने बताया कि यह भट्ठी पिछले कुछ महीनों से बंद पड़ी है, जिसके कारण यहां कत्था नहीं बनाया जा रहा है। हालाँकि, उस समय मौके पर वहाँ खैर हार्टवुड के छोटे-छोटे ताजे कटे टुकड़े भी पाए गए, जिनका आकार कुछ इंच तक का था। यह संदेह बना हुआ है कि क्या ये वही टुकड़े हैं, जिनका उल्लेख ब्लॉक ऑफिसर फतेहपुर ने पकड़ी गई गाड़ी में होने की बात कही थी।
इस संबंध में 23 अगस्त को ही मौके पर जांच हो सके और उसका वीडियो रिकॉर्ड हो सके, इसके लिए रे रेंज के रेंज अफसर सतपाल को लगभग 10 बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। अगले दिन भी रेंज अफसर को संपर्क करने की कोशिश की गई, परंतु उन्होंने फिर से फोन रिसीव नहीं किया। तीसरे दिन 25 अगस्त को हुई बातचीत में उन्होंने सफाई दी कि वे टटवाली में सिंज मेले में व्यस्त थे, इसी कारण फोन नहीं उठा पाए।
ठेकेदार और गार्ड के घर पर ‘मीटिंग’
28 अगस्त को सूत्रों से खबर मिली कि ठेकेदार हंसराज और पकड़ा गया युवक पवन, गार्ड के निवास पर पहुँचे हुये है। इस सूचना पर पंजाब केसरी के रिपोर्टर मौके पर पहुंचे। गार्ड से जब हंसराज के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उसके बयान दर्ज किए जाने हैं, क्योंकि गाड़ी उसके घर के बाहर पकड़ी गई थी। ठेकेदार हंसराज से बातचीत में उन्होंने बताया कि पकड़ा गया व्यक्ति पवन उनकी बुआ का लड़का है और वह उसी के साथ वहां आए हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या काटे गए पेड़ उन्हें पवन उपलब्ध कराता था, तो उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया। इसके अलावा, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या गाड़ी उनके घर के बाहर पकड़ी गई थी, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है। हालांकि, कैमरे पर बयान देने की बात कही गई, लेकिन उन्होंने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया।
इसी मामले के सबन्ध में 2 सितम्बर को ज्वाली रेंज अफसर आशीष कुमार से उनके कार्यलय में जाकर मिलना हुआ। उन्होंने बताया कि जांच जारी है और गाड़ी अभी विभाग के कब्जे में है। 2 सितम्बर को उन्होंने बताया कि पकड़ी गई गाड़ी से दो खैर के पेड़ों की लकड़ी बरामद हुई है। जब्ती की कार्रवाई की गई है और वाहन चालक के खिलाफ वन अधिनियम के तहत डैमेज रिपोर्ट जारी कर दी गई है।
गाड़ी पकड़ने के बाद से ही अलग-अलग अधिकारियों, कर्मचारियों के बयानों में लगातार विरोधाभास सामने आ रहा है। कोई घटना को रे रेंज से जोड़ रहा है, तो कोई ज्वाली रेंज से। पवन का कहना है कि काटे गए पेड़ों को वह ठेकेदार हंसराज को देता था, जबकि ठेकेदार इस बात से साफ इनकार कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि पवन और ठेकेदार हंसराज, दोनों ही गार्ड के निवास स्थान पर एक साथ आते है। गार्ड का कहना है कि गाड़ी हंसराज के घर के बाहर पकड़ी गई, जबकि हंसराज का कहना है कि उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अलग-अलग दावे करके मामले को और उलझा रहे हैं।
❝कहीं न कहीं सच्चाई को दबाने की कोशिश❞
खैर की तस्करी पर पकड़ी गई आल्टो गाड़ी का मामला जितना सीधा लगता है, उतना है नहीं। बयान दर बयान बदलते अफसर, गार्ड और ठेकेदार ने इस पूरे घटनाक्रम को और संदेहास्पद बना दिया है। कभी गाड़ी रे रेंज में पकड़ी बताई जाती है, तो कभी ज्वाली रेंज में। कोई कहता है निजी भूमि से पेड़ कटे, कोई मानता है सरकारी भूमि से भी पेड़ गिरे। गार्ड का कहना गाड़ी ठेकेदार के घर के बाहर पकड़ी गई, और ठेकेदार कहता है उसे कुछ पता ही नहीं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों अधिकारी और कर्मचारी एक ही घटना पर अलग–अलग बयान दे रहे हैं? भट्ठी पर मिले ताजे खैर के टुकड़े भी यही संकेत देते हैं कि कहानी में बहुत कुछ छुपाया जा रहा है। यदि यह वाकई निजी भूमि का मामला है तो विभाग को साफ और ठोस सबूत क्यों नहीं दिखा पा रहा? और अगर सरकारी भूमि से पेड़ गिरे हैं तो फिर मामला एफआईआर और कठोर कार्रवाई तक क्यों नहीं पहुँचा? यह विरोधाभासी बयान सिर्फ़ विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि मिलीभगत का शक पैदा करते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि दोषियों को बचाने के लिए पूरी कहानी उलझाई जा रही है? जंगल देश की संपत्ति हैं, और खैर की अवैध कटाई सिर्फ़ पेड़ों को नहीं, बल्कि व्यवस्था की जड़ों को भी काट रही है। जब तक इस पूरे मामले की निष्पक्ष, पारदर्शी और सार्वजनिक जाँच नहीं होगी, तब तक यह सवाल बना रहेगा – आख़िर असली अपराधी कौन है, और उसे बचाने की कोशिश कौन कर रहा है?