Kangra में बढ़ा गिद्धों का कुनबा, 4 साल के रिसर्च के बाद हुआ खुलासा

Edited By Kuldeep, Updated: 17 Sep, 2025 07:04 PM

kangra vultures growth

जिला कांगड़ा में गिद्धों का कुनबा बढ़ा है। गिद्धों की प्रजाति देश में विलुप्त हो रही है, ऐसे में जिला कांगड़ा में गिद्धों पर हुए रिसर्च ने इस बात का खुलासा किया है कि जिला कांगड़ा में यहां पाए जाने वाले व्हाइट रुम्पड वल्चर की संख्या में इजाफा हुआ है।

धर्मशाला (जिनेश): जिला कांगड़ा में गिद्धों का कुनबा बढ़ा है। गिद्धों की प्रजाति देश में विलुप्त हो रही है, ऐसे में जिला कांगड़ा में गिद्धों पर हुए रिसर्च ने इस बात का खुलासा किया है कि जिला कांगड़ा में यहां पाए जाने वाले व्हाइट रुम्पड वल्चर की संख्या में इजाफा हुआ है। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि यह आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं। इस बार जारी रिपोर्ट में इन विलुप्त होते गिद्धों की प्रजाति की संख्या 1377 पहुंच गई है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की शोधार्थी माल्याश्री भट्टाचार्य के पिछले 4 साल के शोध में यह खुलासा हुआ है। माल्याश्री भट्टाचार्य द्वारा किया गया रिसर्च 2021 से 2024 तक किया गया है।

इस रिसर्च में शोधार्थी द्वारा गिद्धों के घोंसले भी देखे हैं। जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 9 तरह के गिद्ध पाए जाते हैं तथा जिला कांगड़ा में 8 प्रजातियों के गिद्ध पाए जाते हैं। वर्तमान में जिला कांगड़ा में 600 से अधिक गिद्धों के गिद्धों की प्रजाति हो गई हैं। शोध में खुलासा हुआ है कि गिद्धों के कांगड़ा में पाए जाने और लगातार बढ़ने के पीछे चीड़ के घने जंगल और नैचुरल हड्डी खाने हैं। कांगड़ा में 36 से अधिक प्राकृतिक हड्डी खाने पाए गए हैं। ये हड्डी खाने मृत पशुओं को यहां फैंके जाने से संचालित हो रहे हैं। हड्डी खानों की बदौलत गिद्धों को खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाना मिल रहा है।

पिछले सालों के आंकड़े
रिसर्च में पता चला है कि वर्ष 2021-22 में जिला कांगड़ा में 305 गिद्धों के घोंसले थे, 2022-23 में 420, 23-24 में 459 गिद्धों के घोंसले शोध के दौरान देखे गए थे। एक घोंसले में कम से कम 3 गिद्धों का आश्रय माना जाता है। अंडे से निकलने के 3 महीने बाद गिद्ध का बच्चा उड़ना शुरू करता है। 2 साल तक वह घोंसले में लौटता रहता है। घोंसलों की संख्या बढ़ने के चलते कांगड़ा जिले में 1377 गिद्ध होने का अनुमान है।

ये है गिद्धों के बढ़ने का कारण
वाइल्ड लाइफ विभाग के अधिकारियों की मानें तो गिद्धों के कम होने का कारण पशुओं में दर्द निवारक लगने वाले एक इंजैक्शन के कारण गिद्धों की संख्या कम होना माना जा रहा है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो जब कोई पशु मर जाता था तो उसे फैंक देते थे, ऐसे में पशु में लगे इंजैक्शन के चलते गिद्धों में असर देखने को मिला। विभाग का कहना है कि अब उक्त इंजैक्शन को सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया है तथा इसके चलते भी गिद्धों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है।

क्यों जरूरी हैं गिद्ध
पारिस्थितिक तंत्र के लिए गिद्ध बेहद महत्वपूर्ण हैं। गिद्धों के झुंड कुछ ही समय में मुर्दा जानवरों के शरीर से मास को चट कर जाते हैं, ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा शून्य हो जाता है।

यह एक बड़ी अच्छी बात है कि विलु्प्त होती हुई गिद्धों की संख्या जिला कांगड़ा में बढ़ती हुई देखी गई है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया देहरादून की शोधार्थी माल्याश्री भट्टाचार्य के रिसर्च में पता चला है कि जिला कांगड़ा में अभी तक 1377 गिद्धों की संख्या पहुंच गई है। इनका संरक्षण बहुत जरूरी है। - सरोज भाई पटेल, सी.एफ., वाइल्ड लाइफ धर्मशाला सर्कल

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