Edited By Jyoti M, Updated: 05 Feb, 2025 10:41 AM
रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के चलते कुल्लू घाटी में विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पार्वती घाटी के कसोल, मनाली और बंजार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विदेशी सैलानियों की संख्या 90 फीसदी तक घट गई है। खासकर 2021 के बाद...
हिमाचल डेस्क। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के चलते कुल्लू घाटी में विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पार्वती घाटी के कसोल, मनाली और बंजार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विदेशी सैलानियों की संख्या 90 फीसदी तक घट गई है। खासकर 2021 के बाद विदेशियों की पहली पसंद रही पार्वती घाटी के कसोल, मनाली और बंजार घाटी में अब गिने-चुने सैलानी ही देखने को मिल रहे हैं।
विदेशी सैलानियों में आई इस रिकॉर्ड कमी का असर न केवल कुल्लू बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। पहले इसका मुख्य कारण कोविड-19 महामारी को माना जा रहा था, जिसने 2020 और 2021 में पर्यटन कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने विदेशियों के भारत आने पर असर डाला। 2023 में इस्राइल-हमास युद्ध छिड़ने के बाद हजारों सैलानी अपने देश लौट गए, जिससे पर्यटकों की संख्या और भी घट गई।
आंकड़ों की नजर से
2016 से 2019 के बीच कुल्लू में करीब 4.49 लाख विदेशी पर्यटक पहुंचे थे, जबकि 2021 से 2024 तक यह संख्या मात्र 26,000 रह गई। इस गिरावट ने कुल्लू-मनाली, मणिकर्ण, कसोल, तीर्थन और बंजार घाटी के पर्यटन कारोबार को गहरा नुकसान पहुंचाया है।
नई रणनीति की जरूरत
सुनयना शर्मा, जिला पर्यटन अधिकारी, कुल्लू का कहना है कि वर्ष 2019 से 2021 तक कोरोना के चलते विदेशी पर्यटकों की आमद पर असर पड़ा है। इसके बाद रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध से विदेशी पर्यटकों में भारी कमी आई है।