Edited By Vijay, Updated: 24 Aug, 2024 02:09 PM
पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता ने देशभर में चिकित्सा क्षेत्र के सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
शिमला: पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता ने देशभर में चिकित्सा क्षेत्र के सुरक्षा प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सख्त टिप्पणियां की हैं और चिकित्सा स्टाफ की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है। इस संदर्भ में एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठन की बात भी कही गई है।
हिमाचल प्रदेश में भी पिछले एक दशक से सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा की जिम्मेदारी होमगार्ड जवान संभाल रहे थे लेकिन अब वर्तमान में ये जिम्मेदारी निजी सुरक्षा गार्ड कंपनियों को सौंप दी गई है। इसके परिणामस्वरूप डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। इसका सीधा ज्यादा असर मरीजों और आम जनता पर पड़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश होमगार्ड वैल्फेयर एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह चौहड़िया ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में विशेष टास्क फोर्स के गठन की बजाय होमगार्ड जवानों को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। होमगार्ड जवान बुनियादी, अग्रिम और फायरमैन प्रशिक्षण प्राप्त होते हैं और कानून की जानकारी भी रखते हैं। वे नागरिकों की सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों जैसे भूकंप, आगजनी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सक्षम होते हैं।
जोगिंद्र सिंह चौहड़िया ने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि सभी सरकारी संस्थानों की सुरक्षा का जिम्मा होमगार्ड जवानों को सौंपा जाए, जिससे सुरक्षा के स्तर को बेहतर किया जा सके और चिकित्सा सेवाओं में सुधार हो सके।
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