Edited By Kuldeep, Updated: 13 May, 2025 07:18 PM
हिमाचल में सामने आए छात्रवृत्ति घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। सीबीआई छानबीन में सामने आया है कि 238 निजी संस्थानों में से 17 संस्थान ऐसे हैं, जिन्होंने 50 लाख से 94 लाख तक की छात्रवृत्ति राशि मिली है।
शिमला (राक्टा): हिमाचल में सामने आए छात्रवृत्ति घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। सीबीआई छानबीन में सामने आया है कि 238 निजी संस्थानों में से 17 संस्थान ऐसे हैं, जिन्होंने 50 लाख से 94 लाख तक की छात्रवृत्ति राशि मिली है। ऐसे में जब जांच आगे बढ़ी, तो 6 संस्थानों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के पुख्ता साक्ष्य मिले। ऐसे में सीबीआई हिमाचल, पंजाब और हरियाणा से संबंधित निजी संस्थानों अभिलाषी यूनिवर्सिटी चैल चौक मंडी, हिमाचल इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नालॉजी कांगड़ा, वेस्टवुड इंस्टीच्यूट ऑफ होटल मैनेजमैंट जीरकपुर, भाई गुरदास इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नालॉजी संगरूर, आर्यन ग्रुप ऑफ कालेज राजपुरा, अंबाला स्थित ई-मैक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशंस शामिल हैं।
इससे पहले सीबीआई 20 संस्थानों से जुडे़ मामलों में 105 आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर कर चुकी है। इनमें संस्थानों के मालिक, उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला से जुड़े कर्मचारी, बैंक अधिकारी और अन्य निजी व्यक्ति शामिल हैं। साथ ही सक्षम न्यायालय में 8 संस्थानों के संबंध में 8 क्लोजर रिपोर्ट दायर की हैं। खुलासा हुआ है कि निजी संस्थानों द्वारा धोखाधड़ी और भारी अनियमितताएं बरतते हुए कुल छात्रवृत्ति राशि की लगभग 88 प्रतिशत राशि काे हासिल कर लिया। अभी जांच दायरे में कुछ अन्य संस्थान भी आ सकते हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने छात्रवृत्ति राशि को लेकर अनियमितताओं के तथ्य मिलने पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। इसी कड़ी में 7 मई, 2019 को शिमला में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के तहत वितरित प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के बड़े पैमाने पर धन का दुरुपयोग हुआ। ऐसे में सीबीआई ने उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच को शुरू किया। इसमें समय-समय पर सीबीआई द्वारा स्टेटस रिपोर्ट अदालत में दायर की जा रही है।
आर्यन्स ग्रुप ऑफ कॉलेज राजपुरा
सीबीआई की प्रारंभिक जांच के तहत 48 छात्रों में से 29 के बयान लिए। इनमें 15 छात्रों में से कुछ का कहना था वे कम अवधि के लिए छात्रावास में रहे, जबकि उन्हें संस्थान द्वारा अधिक समय के लिए होस्टलर दिखाया गया। साथ ही छात्रवृत्ति की राशि संस्थान के खाते में स्थानांतरित हुई। इसी तरह कुछ छात्रों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने कभी भी छात्रावास की सुविधा का लाभ नहीं उठाया है और उनमें से कुछ ने तो कक्षाओं में भी भाग नहीं लिया है, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार, उनकी ओर से छात्रवृत्ति का दावा किया गया था।
हिमाचल इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी शाहपुर कांगड़ा
जांच के तहत सी.बी.आई. ने 91 छात्रों में से 48 के बयान दर्ज किए। इस दौरान कई छात्रों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने इस संस्थान में अध्ययन किया है और उनकी छात्रवृत्ति का दावा संस्थान द्वारा किया गया और अग्रेषित किया गया था, लेकिन 16 छात्रों के बयानों के अनुसार, यह पाया गया है कि ये संबंधित छात्र अपने पाठ्यक्रम के दौरान डे स्कॉलर बने रहे, लेकिन उक्त संस्थान द्वारा उन्हें हॉस्टलर के रूप में दिखाया गया। गलत तरीके से छात्रवृत्ति की राशि प्राप्त की।
भाई गुरदास इंस्टीच्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी संगरूर, पंजाब
जांच के उद्देश्य के लिए कुल 39 छात्रों में से 18 के बयान दर्ज किए। इस दौरान 17 छात्रों ने बताया और स्वीकार किया कि उन्होंने संस्थान में प्रवेश तो लिया था, लेकिन न तो कक्षाओं में उपस्थित हुए और न ही अपनी परीक्षाएं दीं। छात्रों ने कहा है कि प्रवेश के समय संस्थान ने उनके बैंक खाते खोले और बैंक से संबंधित सभी दस्तावेज यानी पासबुक, चैक बुक अपने पास रख लिए थे। ऐसे में फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति राशि का दावा किया था।
वेस्टवुड इंस्टीच्यूट ऑफ होटल मैनेजमैंट, जीरकपुर पंजाब
जांच के उद्देश्य के लिए 97 छात्रों में से 37 छात्रों के बयान दर्ज किए। 9 छात्रों के बयानों के अनुसार, यह पाया गया कि ये छात्र अपने पाठ्यक्रम के दौरान डे स्कॉलर बने रहे, लेकिन संस्थान ने उन्हें हॉस्टलर के रूप में दिखाया गया। इसके साथ ही कुछ अन्य अनियमितताएं भी सामने आई हैं।
अभिलाषी यूनिवर्सिटी चैल चौक, मंडी
90 छात्रों में से 40 छात्रों के बयान दर्ज किए। कई छात्रों ने बताया और स्वीकार किया कि उन्होंने इस विश्वविद्यालय में अध्ययन किया है और उनकी छात्रवृत्ति का दावा संस्थान द्वारा किया गया और आगे बढ़ाया गया। साथ ही 12 छात्रों के बयानों के अनुसार यह पाया गया कि वे छात्र अपने पाठ्यक्रम के दौरान डे स्कॉलर बने रहे, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें हॉस्टलर के रूप में दिखाया ।
ई-मैक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूशंस अंबाला, हरियाणा
जांच के तहत 75 में से 27 छात्रों से संपर्क किया गया। इस दौरान कुछ का कहना था कि प्रवेश के समय संस्थान के कर्मचारियों ने उनके बैंक खाते खुलवाए और पासबुक और चैकबुक अपने पास रख ली थी और खाली कैश ट्रांसफर वाऊचर/चैक पर उनके हस्ताक्षर प्राप्त कर लिए थे। अधिकांश छात्रों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने संस्थान में अध्ययन किया और उनके छात्रवृत्ति फॉर्म संस्थान द्वारा भरे और अग्रेषित किए गए थे। छात्रों ने संस्थान के कर्मचारियों को केवल अपने शैक्षणिक और अन्य दस्तावेज ही उपलब्ध कराए थे।