कोविड काल में जिंदगी दांव पर लगाकर किया काम, अब नौकरी से हटाए 1900 फ्रंटलाइन वर्कर्ज

Edited By Vijay, Updated: 01 Jul, 2023 06:18 PM

front line workers removed from job

कोविड काल के दौरान अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर काम करने वाले कोविड फ्रंटलाइन वर्करों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। राज्य में करीब 1900 कोविड फ्रंटलाइन वर्कर रखे गए थे। शनिवार को आईजीएमसी में कर्मचारियों ने खूब हंगामा किया।

शिमला (संतोष): कोविड काल के दौरान अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर काम करने वाले कोविड फ्रंटलाइन वर्करों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। राज्य में करीब 1900 कोविड फ्रंटलाइन वर्कर रखे गए थे। शनिवार को आईजीएमसी में कर्मचारियों ने खूब हंगामा किया। इस दौरान केएनएच और आईजीएमसी में लगाए कर्मचारी एकत्रित हुए और सरकार से उन्हें दोबारा से नौकरी पर रखने की मांग उठाई। कोविड-19 के समय अलग-अलग पदों पर इन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी, जिसमें वार्ड आया, स्वीपर, एक्स-रे टैक्नीशियन, स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वाॅय के विभिन्न पदों पर तैनात किया गया था। दिसम्बर, 2020 से इन लोगों ने काम करना शुरू कर दिया था, ऐसे में अब जब कोरोना समाप्त हो गया है तो इन लोगों को भी नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कोविड के समय शर्त रखी गई थी कि जब तक कोविड है तब तक ही कर्मचारियों की सेवाएं ली जाएंगी। पहले ही साफ कर दिया गया था कि 30 जून को इनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

नौकरी से निकाले जाने पर हताश हुए फ्रंटलाइन वर्कर्ज : अनीता
कोविड-19 फ्रंटलाइन वर्कर्ज यूनियन की अध्यक्ष अनीता का कहना है कि हैल्थ सैक्टर में कोविड वारियर्ज ने अपनी जान की परवाह किए बगैर काम किया लेकिन इन्हीं फ्रंटलाइन वर्कर्ज को अब नौकरी से निकाल दिया गया है। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिनको अभी तक सैलरी नहीं मिली है, ऐसे में इनके सामने जीवन यापन को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कोविड में जान पर खेल कर नौकरी करने वाले ये फ्रंटलाइन वर्कर्ज नौकरी से निकाले जाने से हताश हो गए हैं। उन्होंने कोविड के दौरान अपना अधिकतर समय अस्पतालों में बिताया है, ऐसे में वे न तो पढ़ाई पूरी कर पाए हैं और न ही किसी एग्जाम की तैयारी कर पाए हैं। ऐसे में अब दूसरी जगह भी उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। इस कारण परिवार का पालन-पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया है। 

सरकार व विभाग ने लेना है अंतिम निर्णय : एमएस
आईजीएमसी के एमएस डाॅ. राहुल राव का कहना है कि सरकार जिस तरह के आदेश देगी, उन पर अमल किया जाएगा। इस संबंध में आखिरी फैसला सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने लेना है।

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