Edited By Vijay, Updated: 04 May, 2025 02:44 PM

नौकरी के पीछे भागने की बजाय अब उच्च शिक्षित युवा कृषि क्षेत्र में भी सफलता की नई दिशा दिखा रहे हैं। उपमंडल गोहर के चरखा गांव के भाग सिंह इसका जीवंत उदाहरण हैं।
गोहर (ख्यालीराम): नौकरी के पीछे भागने की बजाय अब उच्च शिक्षित युवा कृषि क्षेत्र में भी सफलता की नई दिशा दिखा रहे हैं। उपमंडल गोहर के चरखा गांव के भाग सिंह इसका जीवंत उदाहरण हैं। आईटी सैक्टर की नौकरी को छोड़कर भाग सिंह ने खेती में अपनी रुचि को पेशेवर रूप से अपनाया और पुष्प उत्पादन से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। भाग सिंह ने अपनी शिक्षा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विषय में पूरी की और कुछ समय तक आईटी क्षेत्र में काम भी किया, लेकिन उनका मन हमेशा कृषि क्षेत्र में ही बसा रहा। उन्होंने घर की पुश्तैनी जमीन पर बागवानी करने का फैसला किया। शुरुआत में वे पारंपरिक खेती-बाड़ी करते थे, जिनमें गेहूं, मटर, जौ, मक्की जैसी फसलें उगाई जाती थीं। हालांकि, समय पर बारिश न होना और ओले पड़ने जैसी समस्याओं के कारण उन्हें फसलों से अच्छे परिणाम नहीं मिल पा रहे थे।
भाग सिंह ने हार मानने की बजाय बागवानी विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और परंपरागत खेती को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने का निर्णय लिया। विभाग द्वारा उन्हें पॉलीहाऊस में फूलों की खेती करने का सुझाव दिया। इसके बाद, उन्हें कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ। वर्ष 2020 में उन्होंने तीन पॉलीहाऊस लगाए और कार्नेशन फूलों की खेती शुरू की। अच्छी फसल और बाजार में बेहतर दाम मिलने के बाद उन्होंने वर्ष 2022, 2023 और 2024 में अतिरिक्त पॉलीहाऊस स्थापित किए और कार्नेशन की खेती को और विस्तार दिया। आज वह लगभग 1700 वर्ग मीटर भूमि पर कार्नेशन, स्प्रे कार्नेशन, स्टोमा, जिप्सो किस्म के फूलों की खेती कर रहे हैं।
भाग सिंह ने बताया कि वे अपने फूल दिल्ली शहर में बेचते हैं, जिससे उन्हें प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। पॉलीहाऊस के निर्माण, फूलों की पौधारोपण, ड्रिप इरिगेशन, स्पोर्टिंग नैट आदि पर उनका कुल खर्च 20 लाख रुपए के आसपास हुआ है, जिसमें से 15-16 लाख रुपए की सबसिडी सरकार द्वारा प्रदान की गई है। उन्होंने सरकार और विभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास सराहनीय हैं। हिमाचल पुष्प क्रांति योजना और एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत गोहर ब्लॉक में अब तक 66 किसान पॉलीहाउस तकनीक से फूलों की खेती कर रहे हैं।
इस योजना के तहत वर्ष 2022 से अब तक विभाग द्वारा लगभग 60 लाख रुपए की राशि किसानों को उपदान के रूप में दी जा चुकी है। हिमाचल पुष्प क्रांति योजना के तहत, किसानों को वर्षभर उच्च मूल्य वाले फूलों की संरक्षित खेती के लिए पॉलीहाऊस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही ग्रीन हाऊस, शैड, नैट हाऊस जैसी विधियों का उपयोग करके विदेशी फूलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। युवाओं को प्रेरित करने के लिए पुष्प परिवहन के लिए बस किराए में 25 प्रतिशत छूट और आवारा पशुओं से खेतों को सुरक्षित रखने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली बाड़ लगाने पर 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, पॉलीहाऊस निर्माण के लिए 85 प्रतिशत तक सबसिडी का प्रावधान है। प्रधानमंत्री कृषक योजना के तहत फूलों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से सहायता मिलती है।
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