Edited By Vijay, Updated: 29 Jul, 2025 06:45 PM

राजधानी शिमला में किसानों व बागवानों ने हाईकोर्ट के आदेशों पर प्रदेशभर में चल रही सरकारी जमीनों से बेदखली और सेब के पेड़ों के कटान के विरोध में हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया तथा सचिवालय का...
शिमला (भूपिन्द्र): राजधानी शिमला में किसानों व बागवानों ने हाईकोर्ट के आदेशों पर प्रदेशभर में चल रही सरकारी जमीनों से बेदखली और सेब के पेड़ों के कटान के विरोध में हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया तथा सचिवालय का घेराव किया। किसानों-बागवानों ने सचिवालय के बाहर चक्का जाम करते हुए सरकार के खिलाफ बेदखली और घरों की तालाबंदी को लेकर जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने सरकार से बेदखली व पेड़ों के कटान पर रोक लगाने के साथ की भूमिहीन किसानों को 5 बीघा जमीन देने की मांग की।

प्रदर्शन के दाैरान पुलिस हुई धक्का-मुक्की
इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हल्की धक्का-मुक्की हुई तथा कई जगह बैरिकेड्स भी टूटे। बता दें कि मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे हिमाचल किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के आह्वान पर भारी संख्या में किसान और बागवान टाॅलैंड से सचिवालय तक विरोध रैली निकालते हुए पहुंचे और सचिवालय का घेराव किया। आक्रोशित किसान व बागवान सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए पहुंचे तथा छोटा शिमला में पुलिस थाने के सामने पुलिस ने जब इन्हें एक तरफ एकत्र करवाने का प्रयास किया तो वे पुलिस को धक्के देते हुए सचिवालय के गेट के पास पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने बैरिकेड्स को तोड़ने का भी प्रयास किया। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए किसान नेता व पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार पर जमकर हमले किए तथा आरोप लगाया कि वर्ष 1980 के बाद आई तमाम सरकारें अपने कर्त्तव्यों में विफल रही हैं। सेब उत्पादक संघ राज्य कमेटी संजय चौहान ने कहा कि सेब के बगीचे महज अतिक्रमण नहीं हैं, बल्कि ये मृदा स्थिरता में योगदान देते हैं, स्थानीय वन्य जीवों के लिए आवास उपलब्ध करवाते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं तथा हजारों किसानों की आजीविका को सहारा देते हैं।
स्कूली बच्चों सहित अन्य लोगों को हुई भारी परेशानी
किसानों व बागवानों के धरने के कारण सचिवालय के आसपास के क्षेत्रों में लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। संजौली, छोटा शिमला, खलीनी, बीसीएस और न्यू शिमला की ओर जाने वाले मार्गों पर वाहन रेंगते नजर आए। धरने का समय दोपहर का होने के चलते स्कूली बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई अभिभावकों को अपने बच्चों को पैदल ही स्कूल से घर लाना पड़ा। स्थानीय लोग प्रशासन और प्रदर्शनकारियों दोनों से नाराज दिखे।
सीएम व राजस्व मंत्री के समक्ष रखा पक्ष
प्रदर्शन के दौरान सरकार ने किसान व बागवान नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया। इस दौरान किसान व बागवानों सहित इनके नेताओं ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और राजस्व मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा। उन्होंने सीएम को अब तक की पूरी कार्रवाई से अवगत करवाया तथा कहां पर सरकार की ओर से चूक रही है, उसे बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार प्रदेश उच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र दे कि जब तक एफ.आर.ए. की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक पेड़ कटान व बेदखली पर रोक लगाई जाए।
एफआरए का लाभ उठाएं बागवान : जगत नेगी
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने प्रदर्शन कर रहे बागवानों व उनके नेताओं से एफआरए का लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके तहत 50 बीघा तक सरकारी भूमि को वे अपने नाम करवा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किन्नौर में 500 व पौंग डैम के 50 से अधिक विस्थापितों को पट्टे दिए गए हैं, लेकिन जिला शिमला से एक भी आवेदन इस नियम के तहत नहीं आया है। उन्होंने लोगों से एफआरए में कोताही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की लिखित शिकायत करने को कहा, ताकि उनके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जा सके।