प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बने शिमला के डीडी कश्यप, उगाई 116 किस्म की खाद्य फसलें

Edited By Jyoti M, Updated: 27 Apr, 2025 02:59 PM

dd kashyap of shimla became self reliant through natural farming

प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश की 69 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और उनकी आय बढ़ाने व खेती की लागत...

शिमला। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश की 69 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और उनकी आय बढ़ाने व खेती की लागत घटाने के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कर रही है।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उदेश्य से हिमाचल प्रदेश सरकार ने नए आयाम स्थापित किए है, जिसकी बदौलत आज प्रदेश में किसानों को उसका लाभ प्राप्त हो रहा है। प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष में एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। 

प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाए गए मक्का पर पूरे भारत वर्ष में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया है। इसी के मध्यनजर इस वित्त वर्ष में प्राकृतिक खेती से तैयार किये गए मक्का का समर्थन मूल्य 30 रुपए से बढ़ाकर 40 तथा गेहूं को 40 से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो करने की घोषणा की गई है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है, जिससे प्रदेश के किसानों को आवश्यक रूप से लाभ प्राप्त होगा। 

जिला शिमला के शिमला ग्रामीण उपमंडल के अंतर्गत पाहल गांव के निवासी दुर्गा दत्त कश्यप ने प्राकृतिक खेती कर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की है, जो आज अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बने है।  डीडी कश्यप आज प्राकृतिक खेती से लगभग 116 प्रकार की खाद्य फसलें उगा रहे है, जिससे वह घर की आवश्यकता वाली अधिकतर चीजें प्राकृतिक खेती से पैदा कर रहे है। खुले बाजार से वह बहुत कम चीजें खरीदते है। डीडी कश्यप कहते है कि वह आज सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर नहीं है क्यूंकि रोजमर्रा की सारी चीजें उन्हें अपनी जमीन से ही मिल रही है। 

दुर्गा दत्त कश्यप वर्ष 2015 में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से उप मंडलीय अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए है। इसके उपरांत उन्होंने 2015 से लेकर 2024 तक भारत सरकार की नवरत्न कंपनी वाप्कोस में सलाहकार अभियंता के रूप में कार्य किया। दुर्गा दत्त कश्यप ने कहा कि 2015 में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत होने के पश्चात् उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन को दोबारा से उपजाऊ बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने खेतों की मरम्मत एवं रखरखाव के साथ प्राकृतिक खेती को अपनाया। प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए उन्होंने गूगल, यूट्यूब एवं बहुत सी किताबों का सहयोग लिया।

डीडी कश्यप ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जुड़ने का दूसरा कारण आज के समय में फल सब्जियों को उगाने में रसायन व केमिकल का उपयोग है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस जहर से मुक्ति के लिए उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया ।

जमीन को कैसे किया तैयार 

डीडी कश्यप ने कहा कि उनकी जमीन 60 प्रतिशत मिट्टी तथा 40 प्रतिशत पत्थर से भरी हुई थी, जिसमें खेती करना आसान नहीं था। उन्होंने गाय के गोबर के साथ जंगलों एवं नालों से पत्तियां उठाकर अपने खेतों में डाली, जिससे खेतों में मिट्टी की गुणवत्ता एवं उर्वरता में सुधार हुआ। जमीन को तैयार करने के साथ-साथ उन्होंने विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे तथा अनाज को उगाना भी शुरू किया । उन्होंने कहा कि 2015 के मुकाबले आज अनाज की मात्रा में 10 गुना इजाफा हुआ है।

 क्या क्या उगाने में मिली सफलता 

फलों में - आम, सेब, अमरूद, आडू, किन्नू, मौसमी, नींबू, अचारी नींबू, गलगल, प्लम, पपीता, कीवी, चेरी, जापानी फल, केला, अनार, खुबानी, अखरोट, नाशपाती, शहतूत लाल, शहतूत सफेद, कैंथ, बादाम, चीकू, काले अंगूर, हरे अंगूर, नींबू बारहमासी, चकोतरा आदि। 
औषधीय पौधे- अश्वगंधा, आंवला, हरड़,  बेहडा, बिल, मोरिंगा, तुलसी, इंसुलिन, हरसिंगार, कचनार, कौंच, पान पत्ता, लेमन ग्रास आदि।
बैरी- रास्पबेरी, स्ट्रॉबेरी आदि। 
अनाज- मक्का, गेहूं, जौ, ओगल, कोदा, कोणी आदि। 
दालें- अरहर, रौंगी, राजमाह, माह, कुलत आदि। 
तिलहन- तिल, सूरजमुखी, सरसों, तारामीरा आदि। 

मसाले- धनिया, मेथी, काली जीरी, अजवाइन, सोया, छोटी इलायची, दालचीनी, अदरक, लहसुन आदि एवं  हींग तथा तेजपत्ता प्रायोगिक तौर पर लगाया गया है। 

सब्जियां- लौकी, कद्दू, करेला, खीरा, ककड़ी, पेठा, टमाटर, गोभी, ब्रोकली, पालक, मेथी, बैंगन, भिंडी, नेपाली टमाटर, काली तोरई, मूली, शलगम, गाजर, मटर, आलू, अरबी, गण्डयाली, चुकंदर, प्याज आदि। 
फूल- गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी तथा अन्य। 
अन्य - पोकची, केल आदि। 

200 सफेद चंदन को उगाने का लक्ष्य
डीडी कश्यप ने कहा कि उन्होंने अपनी जमीन में लाल चंदन का एक पौधा प्रायोगिक तौर पर लगाया है। इसके अतिरिक्त 20 से 25 पौधे सफेद चंदन के उगा चुके हैं और लगभग 200 सफेद चंदन को उगाने का लक्ष्य है, जिसकी कीमत आज के समय में लगभग 10 करोड़ है जो आने वाले समय में उनकी पुश्तों के लिए एक प्रकार से फिक्स्ड डिपॉजिट होगी। 

सरकारी योजनाओं का लाभ 

डीडी कश्यप ने कहा कि प्राकृतिक खेती के दौरान उन्होंने कुछ सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त किया है, जिसकी बदौलत उन्हें प्राकृतिक खेती में और आसानी हुई । उन्होंने इन योजनाओं के लिए प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया। 

उन्होंने कहा कि उन्हें गाय की खरीद के लिए 8000 रुपए, गौ सदन को पक्का करने एवं गौ मूत्र को इकट्ठा करने के लिए 8000 रुपये, कृषि उत्पाद के भंडारण के लिए 12000 और  मनरेगा के तहत भूमि का विकास करने के लिए 47 हजार रुपए की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। 

जिला स्तरीय किसान मेले में मिला सम्मान 

इस वर्ष जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन बनूटी में किया गया, जिसकी अध्यक्षता लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने की थी, जिसमें प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए डीडी कश्यप को सम्मानित किया गया था। डीडी कश्यप ने कहा कि आज के समय में उनके गांव के दूसरे किसान भी प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे है, जो किसानों को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचते हुए जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है।

डीडी कश्यप ने सरकार से किसानों के बीच प्राकृतिक खेती पर प्रेरणा सम्मेलन आयोजित करने का आग्रह किया ताकि अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती को पुनः बहाल कर आय के बेहतर साधन उत्पन्न कर सके। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Rajasthan Royals

Gujarat Titans

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!