Edited By Vijay, Updated: 05 Nov, 2024 10:52 AM
कलैक्टर कम उपमंडल अधिकारी नागरिक ज्वाली के आदेशों के अनुसार पीडब्ल्यूडी ने नगरोटा सूरियां बाजार में 16 दुकानों को खाली करवा कर शांतिपूर्वक भारी विरोध के बीच सील कर दिया जबकि 2 दुकानदारों के पास स्टे ऑर्डर और 2 दुकानें पीडब्ल्यूडी की निशानदेही से...
नगरोटा सूरियां (नंदपुरी): कलैक्टर कम उपमंडल अधिकारी नागरिक ज्वाली के आदेशों के अनुसार पीडब्ल्यूडी ने नगरोटा सूरियां बाजार में 16 दुकानों को खाली करवा कर शांतिपूर्वक भारी विरोध के बीच सील कर दिया जबकि 2 दुकानदारों के पास स्टे ऑर्डर और 2 दुकानें पीडब्ल्यूडी की निशानदेही से बाहर निकलीं। पौंग बांध विस्थापित दुकानदारों ने इस कार्रवाई का विरोध किया। विस्थापित दुकानदारों ने प्रशासन गो बैक, प्रशासन होश में आओ, होश में आओ, विस्थापितों को उजाड़ना बन्द करो के नारों के साथ जमकर विरोध किया।
प्रशासन ने किसी भी पक्ष को मानने से इंकार करते हुए सील लगाकर दुकानों पर कब्जा ले लिया। दुकानदारों ने आरोप लगाया कि कानूनी कार्रवाई अवैध कब्जों पर सिर्फ नगरोटा सूरियां में हर साल होती है। ज्वाली, धर्मशाला और शिमला में सैंकड़ों के हिसाब से डीसी लैंड और वन भूमि पर भी अवैध कब्जे हैं उन पर कोई कार्रवाई विभाग नहीं करता है। गरीब लोगों को एक मरला भूमि भी सरकार लीज पर नहीं देती है। वहीं होटल और अन्य व्यवसाय करने के लिए बड़े व्यापारियों को सरकार लीज पर दे देती है।
दुकानदारों सुरेंद्र शर्मा, स्वर्ण धीमान, रिशु कुमार और मनीष कुमार ने कहा कि देहरा में हाल में संपन्न हुए उपचुनाव में माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने यह ऐलान किया था कि पौंग बांध विस्थापितों को उनका हक दिलाने के लिए अगर कानून में भी संशोधन करना पड़ा तो वह संशोधन करेंगे। इस कार्रवाई से सुख की सरकार का यह चुनावी जुमला ही निकला।
पौंग डैम बनने के बाद हल्दून से उजड़े पौंग विस्थापितों ने 1974 में नगरोटा सूरियां में अपनी आजीविका चलाने के लिए दुकानें बनाई थीं। सरकार पौंग विस्थापितों का पुनर्वास तो कर नहीं पाई उलटा आजीविका चलाने के लिए बनाई गई दुकानों को भी कब्जे में लेकर विस्थापितों के जख्मों पर नमक छिड़क कर उन्हें बर्बादी की ओर धकेल रही है।
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