Edited By Jyoti M, Updated: 03 Jun, 2025 01:15 PM
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। राज्य शिक्षा निदेशालय ने उन स्कूलों के संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है जहां छात्रों की संख्या बहुत कम...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। राज्य शिक्षा निदेशालय ने उन स्कूलों के संबंध में एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है जहां छात्रों की संख्या बहुत कम है। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा गया है और इसके लागू होने से राज्य के शिक्षा परिदृश्य में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
शून्य दाखिलों वाले स्कूल होंगे बंद
शिक्षा निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, 21 अप्रैल तक स्कूलों में हुए दाखिलों के आधार पर यह पाया गया है। जीराे एडमिशन वाले 103 स्कूल बंद किए जाएंगे। इनमें 72 प्राइमरी स्कूल, 28 मिडल स्कूल और 3 हाई स्कूल शामिल हैं। प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से सिफारिश की गई है कि इन स्कूलों को 'डी-नोटिफाई' करते हुए बंद कर देना चाहिए। यह कदम उन संसाधनों को बचाने में मदद करेगा जो इन निष्क्रिय स्कूलों के रखरखाव पर खर्च हो रहे हैं।
कम छात्रों वाले स्कूलों का होगा विलय
जीराे एडमिशन वाले स्कूलों के अलावा 443 ऐसे स्कूल हैं जहां छात्रों की संख्या 10 या उससे कम है। इन स्कूलों को भी विलय (मर्ज) करने की योजना है। प्रस्ताव के अनुसार, इन स्कूलों को ऐसे स्कूलों में समायोजित किया जाएगा जहां अधिक छात्र हैं और जो 2 से 5 किलोमीटर के दायरे में आते हैं। इस तरह से, छात्रों को बेहतर सुविधाएं और अधिक शिक्षण स्टाफ मिल पाएगा, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
प्राइमरी स्कूलों पर विशेष ध्यान
प्रस्ताव में प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। 203 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या 5 या उससे कम है। इन स्कूलों को 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में मर्ज करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, 142 प्राइमरी स्कूल ऐसे भी हैं जिनके 2 किलोमीटर के दायरे में कोई अन्य स्कूल नहीं है। ऐसे में, इन स्कूलों को 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूलों में मर्ज करने का प्रस्ताव है।
मिडल और हाई स्कूलों का दर्जा भी होगा प्रभावित
मिडल और हाई स्कूलों के लिए भी इसी तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। 92 मिडल स्कूलों में 10 या उससे कम छात्र हैं, और इन्हें 3 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूलों में मर्ज करने की सिफारिश की गई है। हाई स्कूलों की बात करें तो, 7 उच्च स्कूलों में 20 से कम छात्र हैं, जिन्हें 4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 39 उच्च स्कूलों में 5 से 10 छात्र हैं, और इन स्कूलों का दर्जा घटाकर मिडल स्कूल बनाने का प्रस्ताव है।
उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम होगा
यह प्रस्ताव उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा को भी प्रभावित करेगा। कुल 73 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का दर्जा कम करने की सिफारिश की गई है जहां छात्रों की संख्या कम है। एक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में तो छात्रों की संख्या 25 से भी कम है, और इसे मर्ज करने का प्रस्ताव है. वहीं, 16 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में 10 छात्र हैं, और इनका दर्जा घटाकर उच्च स्कूल बनाने को कहा गया है। इन स्कूलों के छात्रों को 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले अन्य स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। 18 वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में 5 से भी कम छात्र मिले हैं, और इन स्कूलों का दर्जा भी कम किया जाएगा।
सह-शिक्षा स्कूलों को बढ़ावा
एक और महत्वपूर्ण बदलाव लड़के और लड़कियों के अलग-अलग 78 स्कूलों को मर्ज कर सह-शिक्षा स्कूल बनाने की योजना है। जिला और ब्लॉक स्तर पर 39 स्थानों पर ऐसे अलग-अलग स्कूल चल रहे हैं। जिस स्कूल में बेहतर आधारभूत ढांचा उपलब्ध होगा, वहां पहली से दसवीं कक्षा तक के सह-शिक्षा स्कूल चलेंगे। अन्य में, 11वीं और 12वीं की कक्षाएं लगाई जाएंगी। जहां दाखिले अधिक होंगे, वहां कला, मेडिकल और नॉन-मेडिकल की कक्षाएं भी चलेंगी। यह कदम लैंगिक समानता को बढ़ावा देगा और बेहतर सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करेगा।