Himachal: बंजर खेत फिर हुए आबाद, सरकार की इस स्कीम से बदली मंडी के किसान की तकदीर

Edited By Vijay, Updated: 25 Dec, 2025 11:59 AM

turmeric revolution

आत्मनिर्भर हिमाचल की दिशा में प्रदेश सरकार की कृषि हितैषी नीतियां अब धरातल पर अपना रंग दिखाने लगी हैं। विशेष रूप से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय में बढ़ाैतरी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

मंडी (रजनीश): आत्मनिर्भर हिमाचल की दिशा में प्रदेश सरकार की कृषि हितैषी नीतियां अब धरातल पर अपना रंग दिखाने लगी हैं। विशेष रूप से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय में बढ़ाैतरी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। सरकार द्वारा कच्ची हल्दी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 90 रुपए प्रति किलोग्राम घोषित करने से न केवल किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिली है, बल्कि आम जनता को भी रसायन-मुक्त और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं।

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युवाओं को खेती से जोड़ना और औद्योगिक संभावनाएं
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की दूरदर्शी सोच का मुख्य उद्देश्य खेती-किसानी को लाभकारी व्यवसाय बनाकर युवाओं को पुनः इस क्षेत्र की ओर आकर्षित करना है। इसी कड़ी में कच्ची हल्दी के लिए घोषित 90 रुपए प्रति किलो का समर्थन मूल्य एक बड़ा कदम है। हल्दी के औषधीय गुणों और बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार इसे केवल मसाला उद्योग तक सीमित न रखकर अब कॉस्मेटिक उद्योग से भी जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे भविष्य में किसानों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

मंडी के किसान सुरेश कुमार बने मिसाल
जिला मंडी के उपमंडल बल्ह के गांव गंभर खड्ड निवासी किसान सुरेश कुमार इस बदलाव का एक सशक्त उदाहरण हैं। एक समय था जब जंगली जानवरों के आतंक और मक्की की फसल बर्बाद होने के कारण सुरेश ने खेती छोड़ दी थी और उनके खेत बंजर हो गए थे। लेकिन, कृषि विभाग द्वारा संचालित जाइका परियोजना के तहत जीरो बजट प्राकृतिक खेती और सरकार द्वारा हल्दी खरीद की गारंटी ने उन्हें नई राह दिखाई।

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बंजर खेतों में लौटी हरियाली, जंगली जानवरों का डर खत्म
सुरेश कुमार को विभाग द्वारा पालमपुर से 100 किलोग्राम हल्दी का बीज उपलब्ध करवाया गया, जिसे उन्होंने अपनी एक बीघा भूमि में रोपा। आज उनकी फसल तैयार है और सबसे बड़ी राहत यह है कि हल्दी को जंगली जानवर नुक्सान नहीं पहुंचाते। सुरेश बताते हैं कि सरकार की इस पहल से न केवल उनकी खेती सुरक्षित हुई है, बल्कि लंबे समय से वीरान पड़े उनके खेत फिर से आबाद हो गए हैं।

किसानों के लिए संजीवनी साबित हुई योजना
अपनी सफलता से उत्साहित सुरेश कुमार अब आगामी सीजन में 2 बीघा भूमि में हल्दी की खेती करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से जहां लागत कम हुई है, वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने से अच्छी आमदनी सुनिश्चित हुई है। उन्होंने इसे किसानों के लिए संजीवनी बताते हुए क्षेत्र के अन्य किसानों से भी प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान किया है।

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विभाग ने किसानों से की अपील
कृषि विभाग के उप परियोजना अधिकारी हितेंद्र रावत ने बताया कि जिला मंडी में इस योजना का लाभ किसानों तक पहुंच रहा है। वर्ष 2024-25 के दौरान जिले के 15 किसानों से कुल 2.982 मीट्रिक टन कच्ची हल्दी की खरीद 90 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से की गई है। इसके एवज में विभाग ने लगभग 2.68 लाख रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा करवाए हैं। विभाग ने अन्य किसानों से भी अपील की है कि वे प्राकृतिक खेती को अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएं।

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