Himachal: शैक्षणिक मध्य सत्र में अब शिक्षकों के नहीं होंगे तबादले, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

Edited By Vijay, Updated: 11 Sep, 2024 05:37 PM

teachers will not be transferred in the middle session

प्रदेश हाईकोर्ट ने शैक्षणिक सत्र के मध्य में शिक्षकों के तबादले न करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार को यह आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने आदेशों का सख्ती से पालन करे ताकि तबादलों के मामलों में किसी शिक्षक से कोई भेदभाव न हो।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने शैक्षणिक सत्र के मध्य में शिक्षकों के तबादले न करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार को यह आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने आदेशों का सख्ती से पालन करे ताकि तबादलों के मामलों में किसी शिक्षक से कोई भेदभाव न हो। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 3 सितम्बर को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक द्वारा शिक्षकों के तबादलों में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड से अवगत करवाने के आदेश जारी किए थे।

कोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा था कि क्या वह उक्त शिक्षा निदेशक के इन दोहरे मापदंडों से अवगत हैं। यदि अवगत हैं तो उक्त शिक्षा निदेशक के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यदि अवगत नहीं है तो उक्त अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी रमन कुमार द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए थे। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि कोर्ट के 3 सितम्बर को जारी आदेशों के बाद 7 सितम्बर को शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में उच्च एवं प्रारंभिक शिक्षा निदेशकों व संयुक्त शिक्षा सचिव की उपस्थिति में शिक्षकों के तबादलों को लेकर कुछ आदेश जारी किए गए।

इन आदेशों में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को शिक्षकों के मध्य सत्र में तबादले न करने के निर्देश जारी किए गए। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि बहुत ही जरूरी होने पर संबंधित शिक्षक के तबादले से जुड़ा मामला शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष जरूरी आदेशों के लिए पेश किया जाए। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को यह बताने के आदेश भी दिए गए हैं कि 30 जुलाई को तबादलों पर लगाए बैन के बाद उन्होंने कितने शिक्षकों के तबादले किए। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक के खिलाफ पहले से ही जारी कारण बताओ नोटिस पर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। सरकार के इन आदेशों के मद्देनजर कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए तबादलों में दोहरा मापदंड न अपनाते हुए शिक्षकों से एक सा बर्ताव करने के आदेश दिए।

मामले के अनुसार प्रार्थी की नियुक्ति वर्ष 2020 में जिला चंबा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय खजुआ बिहाली में बतौर टीजीटी नॉन मैडीकल हुई थी। ट्राइबल क्षेत्र में तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल करने के पश्चात प्रार्थी ने ट्राइबल क्षेत्र से अपने तबादले हेतु विभाग को प्रतिवेदन दिया। प्रतिवेदन पर कार्रवाई न होने पर प्रार्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को प्रार्थी के प्रतिवेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश जारी किए। इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने प्रतिवेदन खारिज करते हुए कहा कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र के मध्य में प्रार्थी का तबादला करना प्रशासनिक और जनहित में वाजिब नहीं है।

इस आदेश को प्रार्थी ने फिर से कोर्ट में चुनौती दी। प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने भेदभावपूर्ण तरीके से उसके प्रतिवेदन को खारिज किया। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि उक्त शिक्षा निदेशक ने एक दो नहीं बल्कि सैंकड़ों शिक्षकों के तबादला आदेश शैक्षणिक सत्र के मध्य में किए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि कोर्ट के इन आदेशों के बाद अब प्रार्थी के उपयुक्त तबादला आदेश जारी कर दिए गए हैं।
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