Edited By Jyoti M, Updated: 04 Jun, 2025 04:29 PM

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बड़ा बदलाव करते हुए अब OPD (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) पर्ची पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह निर्णय 5 जून से लागू हो जाएगा, जिसके बाद मरीजों को सरकारी अस्पतालों में पर्ची बनवाते समय...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बड़ा बदलाव करते हुए अब OPD (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) पर्ची पर शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह निर्णय 5 जून से लागू हो जाएगा, जिसके बाद मरीजों को सरकारी अस्पतालों में पर्ची बनवाते समय 10 रुपये का परामर्श शुल्क देना होगा। स्वास्थ्य विभाग के सचिव द्वारा इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार का कहना है कि यह फैसला रोगी कल्याण समिति (RKS) द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए लिया गया है। इन सेवाओं में अस्पतालों की स्वच्छता, स्वास्थ्य सुविधाएँ, बुनियादी ढाँचा और उपकरणों का रखरखाव शामिल है। अधिसूचना में यह भी बताया गया है कि अब RKS को आवश्यकता के आधार पर उपयोगकर्ता शुल्क लगाने का अधिकार दिया गया है।
क्या अब भी मुफ्त मिलेंगे सभी टेस्ट?
नहीं, सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अस्पतालों में करवाए जाने वाले 133 विभिन्न प्रकार के टेस्ट को भी अब शुल्क-मुक्त नहीं रखा है। पहले, हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का मुफ्त पंजीकरण होता था और कई टेस्ट भी निशुल्क किए जाते थे। 26 मई को सरकार ने 14 श्रेणियों को मुफ्त डायग्नोस्टिक जाँच और एक्स-रे की सुविधा देने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस ले लिया गया है। इसका मतलब है कि ये 14 श्रेणियाँ भी अब इन टेस्ट के लिए शुल्क का भुगतान करेंगी।
सरकार के इस फैसले के पीछे क्या है कारण?
यह कदम हिमाचल प्रदेश के गंभीर आर्थिक संकट के मद्देनजर लिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए कई मुफ्त सेवाओं में कटौती कर रही है। इससे पहले, स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने भी इस मुद्दे पर तर्क दिया था कि लोग OPD पर्ची को संभालकर नहीं रखते, और ऐसे में शुल्क लेने से पर्ची के महत्व को समझा जा सकेगा। यह देखना होगा कि सरकार का यह फैसला आम जनता पर क्या प्रभाव डालता है और क्या इससे वास्तव में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आता है।