Edited By Kuldeep, Updated: 15 Dec, 2025 04:04 PM

एचआरटीसी के पैंशनर्ज को समय पर पैंशन न मिलना अब मानवीय संकट में बदल चुका है। आर्थिक तंगी के कारण बुजुर्ग पैंशनर्ज अपना इलाज तक नहीं करवा पा रहे हैं।
शिमला (राजेश): एचआरटीसी के पैंशनर्ज को समय पर पैंशन न मिलना अब मानवीय संकट में बदल चुका है। आर्थिक तंगी के कारण बुजुर्ग पैंशनर्ज अपना इलाज तक नहीं करवा पा रहे हैं। बीते दो माह में करीब आठ पैंशनर्ज की इलाज के अभाव में मौत हो चुकी है, जबकि 70 से 80 प्रतिशत पैंशनर्ज गंभीर बीमारियों के चलते बिस्तर पर हैं। आधा माह बीत चुका है और पैंशनर्ज को पैंशन नहीं मिली है। वहीं बीते माह भी माह के अंतिम दिन पैंशन मिली थी। हिमाचल पथ परिवहन कल्याण संगठन के प्रदेशाध्यक्ष देवराज ठाकुर और प्रैस सचिव देवेंद्र चौहान ने कहा कि हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जिन बीमार पैंशनर्ज को नियमित डायलिसिस की आवश्यकता है, उन्हें भी मैडीकल रीइम्बर्समैंट नहीं मिल रही।
उन्होंने बताया कि डायलिसिस वाले पैंशनरों के इलाज के बिल 1.50 लाख रुपए तक पहुंच चुके हैं, लेकिन भुगतान के नाम पर मात्र 25 से 30 हजार रुपए दिए जा रहे हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का इलाज संभव नहीं हो पा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन वर्षों से मैडीकल भत्तों का भुगतान लंबित है। प्रदेश के कई पैंशनर्ज आईजीएमसी शिमला सहित अन्य अस्पतालों में इलाज करवा तो रहे हैं, लेकिन दवाइयों के लिए पैसे नहीं हैं। मजबूरी में उन्हें रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ रहा है।
इन पैंशनर्ज को सबसे अधिक परेशानी
सबसे अधिक परेशानी उन पैंशनर्ज को झेलनी पड़ रही है जिनके बच्चे अभी बेरोजगार हैं या निजी नौकरियों में कम वेतन पर काम कर रहे हैं। ऐसे परिवारों के लिए घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। संगठन ने कहा कि सरकार इस उम्र में पैंशनर्ज को सम्मान देने की बजाय दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर रही है।
संगठन ने सरकार से की मांग
कल्याण संगठन ने सरकार से मांग की है कि पैंशन की राशि हर माह एडवांस में जारी की जाए ताकि बुजुर्ग पैंशनर्ज को इलाज और जीवनयापन के लिए परेशान न होना पड़े। चेतावनी दी गई कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।