Edited By Kuldeep, Updated: 25 Jul, 2025 09:25 PM

प्राकृतिक खेती उत्पादों पर एमएसपी लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन गया है। इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की पीठ भी थपथपाई है।
शिमला (ब्यूरो): प्राकृतिक खेती उत्पादों पर एमएसपी लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बन गया है। इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की पीठ भी थपथपाई है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मंथन बैठक में प्रदेश चर्चा का केंद्र बना रहा। केंद्रीय मंत्री ने राज्य सरकार की तरफ से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नैचुरल फार्मिंग में बहुत अच्छे प्रयोग हुए हैं।
अब तक राज्य की लगभग सभी पंचायतों में 2.23 लाख से अधिक किसानों ने पूर्ण या आंशिक रूप से रासायनिक मुक्त खेती को अपनाया है। पिछले वर्ष मक्की का समर्थन मूल्य 30 रुपए प्रति किलो तय किया गया था, जिसे अब बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया गया है। अब तक 1,509 किसानों से लगभग 400 मीट्रिक टन मक्की की खरीद समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है। इसी तरह गेहूं को 60 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है
। सरकार ने प्राकृतिक तरीके से उगाए गई कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपए प्रति किलो समर्थन मूल्य की घोषणा की है, जिसे हिमाचल हल्दी ब्रांड के तहत प्रसंस्कृत कर बाजार में बेचा जाएगा। राज्य सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 9.61 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, साथ ही चम्बा जिले के पांगी उपमंडल को राज्य का पहला प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित किया गया है।
वर्तमान में पांगी घाटी में लगभग 2,244 किसान परिवार रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं। सरकार कृषि और बागवानी के लिए इस्तेमाल होने वाली 2,920 हैक्टेयर कृषि भूमि पर 100 फीसदी प्राकृतिक खेती की शुरूआत करने की योजना बना रही है। प्राकृतिक खेती उपज की बिक्री के लिए 10 मंडियों में विशेष स्थान और आवश्यक ढांचा विकसित किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 और वर्ष 2024-25 में कुल 27.60 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं।
हमीरपुर जिला में स्पाइस पार्क स्थापित होगा
राज्य सरकार ने हमीरपुर जिला में स्पाइस पार्क (मसाला प्रसंस्करण केंद्र) स्थापित करने का निर्णय भी लिया है। इससे क्षेत्र में उगाए जाने वाले मसालों को नई पहचान और बेहतर बाजार मिलेगा। प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए सरकार कई प्रकार की सबसिडी भी दे रही है, जैसे ड्रम की खरीद पर प्रति ड्रम 750 रुपए (अधिकतम 2,250 रुपए), गऊशाला में पक्का फर्श और गौमूत्र गड्ढा बनाने के लिए 8,000 रुपए, देशी गाय खरीद पर 50 फीसदी सबसिडी या अधिकतम 25,000 रुपए तक उपदान और परिवहन के लिए 5,000 रुपए की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है।