Shimla: दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला को कोर्ट द्वारा मीडिया को कोई भी बयान देने से परहेज करने के आदेश

Edited By Kuldeep, Updated: 23 Jul, 2025 08:39 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला को न्यायालय द्वारा पारित न्यायिक आदेशों से परे मीडिया को कोई भी बयान देने से परहेज करने के आदेश दिए हैं।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडौली के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला को न्यायालय द्वारा पारित न्यायिक आदेशों से परे मीडिया को कोई भी बयान देने से परहेज करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी मोहन लाल बडौली द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने बडौली द्वारा दायर आवेदन पर उक्त महिला को नोटिस जारी करते हुए कहा कि अदालत फिलहाल प्रतिवादी महिला को अंतरिम राहत के लिए दायर आवेदन में की गई प्रार्थनाओं के संदर्भ में, रोक नहीं रहा है, तथापि, यह आदेश दिया जाता है कि अगली सुनवाई की तिथि तक प्रतिवादी महिला न्यायालय द्वारा पारित न्यायिक आदेशों से परे कोई भी बयान देने से परहेज करेगी।

उल्लेखनीय है कि सोनीपत में नौकरी करने वाली दिल्ली की महिला द्वारा मोहन लाल बडौली पर कसौली में दुष्कर्म करने के आरोप लगाए हैं। बडौली ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित कसौली में मोहन लाल बडौली के विरुद्ध दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज है। हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और राकी मित्तल के खिलाफ 13 दिसम्बर 2024 को हिमाचल के कसौली थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें महिला ने 3 जुलाई 2023 को कसौली के होटल में उसे जबरन शराब पिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। हिमाचल पुलिस ने मामले की जांच की और ठोस सुबूतों के अभाव में कैंसिलेशन रिपोर्ट कसौली कोर्ट में सबमिट की थी।

जिसे कसौली कोर्ट ने 12 मार्च को स्वीकार कर लिया था। इसके खिलाफ कथित पीड़िता ने सोलन कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसे स्वीकार कर लिया गया और मामला पुनः कसौली कोर्ट को सुनवाई के लिए भेज दिया गया। बडौली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर महिला को मीडिया में उनके खिलाफ दुष्प्रचार से रोकने की मांग करते हुए कहा है कि महिला द्वारा इसे मीडिया ट्रायल बनाया जा रहा है जिससे समाज में उनके सम्मान को ठेस पहुंच रही है। प्रार्थी का कहना है कि उनके पक्ष में पुलिस जांच रिपोर्ट अभी भी कायम है क्योंकि इसमें अभी तक किसी अदालत ने कोई दखल नहीं दिया है।

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