Himachal: भांग की खेती को कानूनी मान्यता नहीं मिलने से बाहरी राज्यों से मंगवाना पड़ रहा कच्चा माल

Edited By Kuldeep, Updated: 11 Jul, 2025 10:14 PM

shimla cannabis raw material outside state

हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी मान्यता नहीं मिलने से राज्य में भांग से उत्पाद तैयार कर रहे कारोबारियों को परेशानी होे रही है।

शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी मान्यता नहीं मिलने से राज्य में भांग से उत्पाद तैयार कर रहे कारोबारियों को परेशानी होे रही है। उन्हें बाहरी राज्यों से कच्चा माल मंगवाना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें 80 रुपए से 600 रुपए प्रति किलो तक दाम चुकाने पड़ रहे हैं। वर्तमान में राज्य में जिला कांगड़ा के फतेहपुर व पालमपुर में भांग के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं तथा रिसर्च का कार्य भी किया जा रहा है। शुक्रवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में भांग खेती को वैध करने व औषधीय उपयोग पर आयोजित सैमीनार एवं प्रदर्शनी में देशभर के 10 से अधिक उत्पादकों ने भाग लिया।

यह उत्पादक भांग से तैयार होने वाले उत्पादों पर कार्य कर रहे हैं। फतेहपुर से इनकेयर लैब केनारमा के रोहित चौहान ने बताया कि वह भांग से पेन ऑयल, पेन रोलो सहित कई तरह के उत्पाद तैयार कर रहे हैं। भांग के बीजों से उत्पाद तैयार करने का लाइसैंस आयुर्वेदा विभाग से लिया गया है। इसके अलावा पत्तों से तैयार होने वाले उत्पाद के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से कच्चा माल मंगवाना पड़ता है, क्योंकि वहां पर भांग के ठेके हैं।

इसके लिए आबकारी एवं कराधान से लाईसैंस लिया जा सकता है। उन्होंने भांग से साबुन, शैंपू, शावर जैल भी तैयार किया है। पालमपुर में आई.एच.पी.टी. व कृषि विश्वविद्यालय के साथ भांग के रेशे व इसकी दवाई पर काम कर रही कनिका सूद ने बताया कि उन्होंने गद्दी ऊन के साथ भांग के रेशे को मिलाकर फाइबर तैयार किया है तथा इसका उपयोग सीमा पर तैनात जवानों के जैकेट में किया जा सकता है।

वर्तमान में सीमा पर तैनात जवानों को एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग सिस्टम दिया जाता है जो नाईलोन व पॉलिस्टर का होता है। लेकिन भांग से तैयार फाइबरएंटी वैक्टीरियल, एंटी फंगल इन्सूलेटिड मैटीरियल है। जो 10 दिन तक नहीं बदलने पर भी चमड़ी रोग से बचाते हैं। इसके अलावा भांग से दवाइयों के साथ-साथ अन्य पारंपरिक उत्पाद मूड़ा, चटनी, नमक आदि भी तैयार किए जा रहे हैं।

किसानों के लिए हेम पेस्ट बायोचार उपयोगी
नेयती नेयती ओरल केयर की डा. रश्मि ने बताया कि हेम पेस्ट बायोचार किसानों के खेतों के लिए बहुत ही उपयोगी है। खाद के साथ इसका उपयोग करने से जहां भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ती है, वहीं इसके उपयोग से जमीन में पानी व खाद की आवश्यकता भी आधी रह जाती है। इसके अलावा भांग के बीज से टूथ पेस्ट भी तैयार किया जा रहा है।

भांग के रेशे से तैयार किया सैनेटरी पैड
जिला कांगड़ा के हिमालयन इंडस्ट्री के हनीश कटनागर ने बताया कि उन्होंने भांग के पौधे के रेशे से सैनेटरी पैड तैयार किया। साथ ही बीच की लकड़ी से हेम कॉटेज कुल्लू में तैयार किया है। मुम्बई से आए बोम्बे हैम कंपनी के देलजा देयालाईवाला ने कहा कि टैक्सटाइल 2013 से भांग के उत्पाद पर काम कर रहे हैं। इंडियन हेम स्टोर के सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि हम मार्कीट प्लेटफार्म हेम के 200 से अधिक उत्पाद बनते हैं। इससे तैयार टैक्सटाइल ईको फ्रैंडली तथा कॉटन से 4 गुणा मजबूत है। वह धोने के बाद यह लगातार साफ्ट होता जाता है, जो गर्मी में ठंडा व सर्दी में गर्म रखता है।

राज्य में 5 वर्षों में होगा 1000 करोड़ तक का कारोबार
अयूरिंस्टिंक्ट हैल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड से डा. पीयूष जुनेजा ने बताया कि यूरोप में पहाड़ों की भांग की अधिक मांग है। यदि हिमाचल अनुमति देता है तो किसानों की दो से तीन गुना आमदनी होगी तथा अगले 5 वर्षों में 100 मिलियन यूरो यानि 500 से 1000 करोड़ रुपए का कारोबार होगा।

 

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