Shimla: हिमाचल में डीजी रैंक के अधिकारियों की संख्या हुई तीन

Edited By Kuldeep, Updated: 03 Nov, 2024 07:03 PM

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हिमाचल में डीजी रैंक के अधिकारियों की संख्या 3 हो गई है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक ही समय में पुलिस, जेल और विजीलैंस में स्थायी डीजी तैनात हुए।

शिमला (राक्टा): हिमाचल में डीजी रैंक के अधिकारियों की संख्या 3 हो गई है। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक ही समय में पुलिस, जेल और विजीलैंस में स्थायी डीजी तैनात हुए। सुक्खू सरकार द्वारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने पर वर्ष 1993 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अशोक तिवारी को महानिदेशक राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो लगाया है। उनकी तैनाती से विजीलैंस को लंबे समय बाद स्थायी डीजी मिला है। सूबे में जेल व सीआईडी का अतिरिक्त कार्यभार पहले से ही डीजी रैंक के ही अधिकारी के पास है।

हिमाचल कैडर के डीजी रैंक के 4 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी चल रहे हैं। इनमें वर्ष 1990 बैच के श्याम भगत नेगी, 1993 बैच के अनुराग गर्ग व ऋत्विक रुद्र और 1994 बैच के राकेश अग्रवाल शामिल हैं। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश पुलिस महानिदेशक पद की कमान डा. अतुल वर्मा के हाथों में है। वह 1991 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू के सेवानिवृत्त होने पर सरकार ने उन्हें प्रदेश पुलिस प्रमुख नियुक्त किया था जबकि वर्ष 1989 बैच के आईपीएस संजीव रंजन ओझा वर्तमान में डीजी कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग का जिम्मा देख रहे हैं। उनके पास डीजी सीआईडी का भी अतिरिक्त कार्यभार है।

प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने ही आईपीएस ओझा को भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने पर डीजी जेल का कार्यभार सौंपा था। माना जा रहा है कि विजीलैंस में स्थायी डीजी की नियुक्ति होने से लंबित मामलों की जांच में तेजी आएगी। इसके साथ ही सरकार द्वारा पुलिस, सीआईडी व विजीलैंस अधिकारियों को समय-समय पर उचित दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। इनमें सूचना तंत्र को कड़ा किया जाना मुख्य रूप से शामिल है। सरकार का मानना है कि सूचना तंत्र मजबूत होने से भ्रष्टाचार के साथ ही तस्करी जैसे मामलों से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता है।

नशा तस्करी के साथ साइबर अपराध चुनौती
प्रदेश में नशा तस्करी के साथ ही साइबर अपराध चुनौती से निपटना चुनौती बन रहा है। प्रदेश का ऐसा कोई जिला नहीं है, जहां नशा तस्कर सक्रिय न हो। इसी तरह अन्य अपराध की तुलना में साइबर अपराध के 45 फीसदी मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। ऐसे में सरकार विशेष रणनीति के तहत काम कर रही है।

आईपीएस के 94 पद स्वीकृत
प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के 94 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से करीब 6 रिक्त चल रहे हैं। इसी तरह आने वाले दिनों में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के एक अधिकारी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर जा सकते हैं। वहीं प्रदेश में एचपीएस रैंक के 193 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से करीब 13 पद रिक्त हैं।

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