Edited By Kuldeep, Updated: 21 Feb, 2025 08:53 PM
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हिमाचल प्रदेश में ग्लोबल वार्मिंग के कारण जहां हिमाचल के ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यानि तेजी से पिघल रहे हैं। इससे जहां पार्वती नदी में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, वहीं ग्लेशियर झील वासुकी व सांगला का आकार भी बढ़ा है, जो चिंता का विषय है।
शिमला (भूपिन्द्र): हिमाचल प्रदेश में ग्लोबल वार्मिंग के कारण जहां हिमाचल के ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यानि तेजी से पिघल रहे हैं। इससे जहां पार्वती नदी में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, वहीं ग्लेशियर झील वासुकी व सांगला का आकार भी बढ़ा है, जो चिंता का विषय है। वर्ष 2017 की अपेक्षा वर्ष 2024 में वासुकी का क्षेत्रफल 3.02 व सांगला का क्षेत्रफल 0.87 हैक्टेयर बढ़ा है। यह खुलासा ग्लेशियर झीलों वासुकी, सांगला के बैथीमीटरी सर्वे और सामरिक महत्व की सड़कों पर भूस्खलन के जोखिम का आकलन पर आधारित अध्ययन रिपोर्ट में हुआ, जिसे शुक्रवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने जारी किया। बैथीमीटरी सर्वे रिपोर्ट कुल्लू जिले के सोसन में 4500 मीटर ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियर झील वासुकी और किन्नौर जिले के सांगला में 4710 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियर झील सांगला की प्रगत संगणन विकास केंद्र (सैंटर फॉर डिवैल्पमैंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग) के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने गहन अध्ययन के बाद तैयार की है। इन जोखिमपूर्ण ग्लेशियर झीलों के लिए बैथीमीटरी सर्वे किया गया। रिपोर्ट के अनुसार ये दोनों झीलें बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने से बनी हैं।
ग्लेशियर झील वासुकी 1.65 किमी की परिधि में है। इसकी अधिकतम गहराई 36.91 मीटर और औसत गहराई 14.48 मीटर है। इसके अलावा 2017 से 2024 के बीच ग्लेशियर झील वासुकी का क्षेत्रफल 3.02 हैक्टेयर बढ़ चुका है। 2017 में वासुकी का क्षेत्रफल 10.36 हैक्टेयर था जोकि 2024 में 13.38 हैक्टेयर हो गया। झील में 2.16605135 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ के लिहाज से पार्वती नदी को बेहद संवेदनशील बताया गया है। क्योंकि लगातार ग्लेशियरों के पिघलने से नदी में पानी का बहाव बढ़ सकता है। हालांकि वासुकी झील से अभी तक पानी की कोई लीकेज नहीं है, जो राहत वाली बात है
इसी तरह वर्ष 2017 से 2024 के बीच सांगला झील का क्षेत्रफल 0.87 हैक्टेयर बढ़ा। 2017 में सांगला झील का क्षेत्रफल 13.4 हैक्टेयर था जोकि 2024 में 14.29 हैक्टेयर हो गया। सितम्बर में सर्वे के दौरान झील का क्षेत्रफल 15.73 हैक्टेयर पाया गया। झील में 1.52758 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव कमलेश कुमार पंत, अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा, निदेशक व विशेष सचिव आपदा प्रबंधन डीसी राणा, निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राघव शर्मा, पुलिस अधीक्षक एसडीआरएफ अर्जित सेन ठाकुर, मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग अजय कपूर, मुख्य अभियंता ऊर्जा विभाग डीपी गुप्ता, विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
ग्लेशियर झील सांगला के फटने से बस्पा हाईडल पावर स्टेशन को हो सकता है खतरा, जानमाल की क्षति की भी संभावना
रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि ग्लेशियर झील सांगला के फटने से जेएसडब्ल्यू, बस्पा हाईडल पावर स्टेशन प्रभावित हो सकते हैं। सांगला में जानमाल की क्षति की भी संभावना जताई गई है। बस्पा नदी प्रणाली में ग्लेशियर झील सांगला की अहम भूमिका है। यह झील स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। यह झील कई जीवों की प्रजातियों का प्राकृतिक आवास है।
झीलों का हर वर्ष करवाया जाए सर्वे
रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि इन झीलों का हर वर्ष फील्ड सर्वे करवाया जाए। इसके साथ ही अग्रिम चेतावनी प्रणाली (अर्ली वार्निंग सिस्टम) भी स्थापित की जाए। झीलों में पानी के बहाव की निरंतर निगरानी की भी आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।
शिमला की 2 सड़कों पर अवरुद्ध करने वाले 15 प्वाइंट चिन्हित
रिपोर्ट में पंथाघाटी से एनएच क्रॉसिंग और कैनेडी चौक से अनाडेल हैलीपैड सड़क का आकलन भी किया गया है। इन दोनों सड़क मार्गों में सड़क अवरुद्ध करने वाले 15 प्वाइंटों को चिन्हित किया गया है।