Edited By Kuldeep, Updated: 27 Aug, 2025 10:00 PM

Shimla: भविष्य की निर्माण परियोजनाओं के लिए उचित डंपिंग स्थलों की पहचान करे सरकार : हाईकोर्ट
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह भविष्य की निर्माण परियोजनाओं के लिए उचित डंपिंग स्थलों की पहचान करे। कोर्ट ने अवैध डंपिंग से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को यह चेतावनी देते हुए कहा कि डंपिंग स्थलों के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरती जाए, ताकि मलबा आसपास के क्षेत्रों जैसे निजी भूमि, नालों, जल निकायों, वन क्षेत्रों व जलग्रहण क्षेत्रों में न गिरे। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सभी निजी ठेकेदारों को उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी हो गया है क्योंकि हिमाचल प्रदेश पहले से ही मानसून में भारी बारिश के कारण बड़ी संख्या में भूस्खलन का सामना कर रहा है। हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी कर्मियों द्वारा सड़क निर्माण के दौरान लोगों की जमीनों पर मलबा फैंकने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई न करने पर कड़ा संज्ञान लिया था। कोर्ट ने दोषी पीडब्ल्यूडी कर्मियों की भूमिका का पता लगाने के आदेश भी दिए थे और उनके खिलाफ उपयुक्त दोषारोपण करते हुए जरूरी कार्रवाई करने की मंजूरी प्रदान करने के आदेश भी दिए गए थे।
कोर्ट ने चम्बा जिले के मोटला गांव में पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से मलबा फैंकने पर कार्रवाई की मांग को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात ये आदेश दिए थे। कोर्ट ने हैरानी जताई थी कि जिस मलबे को हटाने की लागत 64 लाख रुपए आंकी गई है, उसके लिए दोषी ठेकेदार पर मात्र साढ़े 11 लाख रुपए का जुर्माना किया गया। इसके पीछे का कोई कारण नहीं बताया गया। इतना ही नहीं, जिस मलबे को हटाने की लागत पहले 64 लाख रुपए आंकी गई थी, उसकी लागत कोर्ट द्वारा ताजा स्टेटस रिपोर्ट मंगवाने के बाद नाटकीय ढंग से गिरावट के साथ 40 लाख रुपए बताई गई।
याचिकाकर्त्ता संजीवन सिंह ने याचिका में आरोप लगाया गया है कि ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग की लापरवाही की वजह से पूरे गांव में मलबा भर गया है। इससे कई घरों और गऊशालाओं को भारी क्षति हुई है। याचिका दायर करने के बाद हाईकोर्ट के आदेशों से स्थिति में सुधार को देखते हुए कोर्ट ने सरकार को उपरोक्त चेतावनी देने के पश्चात याचिका बंद कर दी।