Shimla: डिपुओं में लगी पोस मशीन से बिलों में गड़बड़ी का संचालकों को भुगतना पड़ रहा खमियाजा

Edited By Kuldeep, Updated: 08 Feb, 2025 10:51 PM

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हिमाचल के सस्ते राशन डिपुओं में राशन वितरण के लिए लगी पोस मशीनों पर डिपो संचालकों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। पिछले कई महीनों से बिलों में हो रही गड़बड़ को लेकर डिपो संचालकों की समिति ने विजीलैंस जांच की मांग की है।

शिमला (राजेश): हिमाचल के सस्ते राशन डिपुओं में राशन वितरण के लिए लगी पोस मशीनों पर डिपो संचालकों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। पिछले कई महीनों से बिलों में हो रही गड़बड़ को लेकर डिपो संचालकों की समिति ने विजीलैंस जांच की मांग की है। प्रदेश डिपो संचालक समिति ने डिपुओं पर लगी पीओएस मशीनों में अस्वीकार किए गए बिलों का ठीकरा खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा डिपो धारकों के सिर पर फोड़ने का आरोप लगाया। प्रदेश डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा कि अधिकांश मामले डिपुओं पर लगी पीओएस मशीनों में तकनीकी खराबी के चलते हुए हैं। जब किसी डिपो संचालक की मशीन में खराबी आती है तो डिपो संचालक द्वारा विभाग से शिकायत करने के उपरांत विभागीय अधिकारियों के आदेश के उपरांत संबंधित कंपनी के कर्मचारियों द्वारा डिपो संचालकों की मशीन को बदला जाता है।

जब डिपो धारकों की मशीन को बदला जाता है तो पीओएस मशीनों के स्टॉक में सैंकड़ों क्विंटल राशन की भिन्नता आती है। डिपो धारकों द्वारा विभाग से बार-बार लिखित व मौखिक तौर पर आग्रह करने के बावजूद भी स्टॉक को समायोजित नहीं किया जाता। पिछले करीब तीन वर्षों से विभाग द्वारा ऐसे डिपो धारकों के स्टॉक को समायोजित नहीं किया गया जब विभाग द्वारा डिपुओं का निरीक्षण किया जाता है तो स्टॉक में भिन्नता के कारण डिपो धारकों को अकारण भारी भरकम जुर्माना डाला जाता है। अस्वीकार किए गए बिलों में अधिकांश मामले ऐसे हैं जहां डिपो धारकों ने भारी भरकम जुर्माने से बचने के लिए मशीनों में आए बिलों को स्टॉक समायोजित करने के उद्देश्य से अस्वीकार किया है और कुछ डिपो धारकों से विभाग व खाद्य आपूर्ति निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया है।

डिपो धारकों को निशाना बना कर लाखों रुपए जुर्माना लगा रहा विभाग
अशोक कवि ने प्रदेश सरकार से इस सारे मामले की जांच विजीलैंस से करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि विभाग अपने अधिकारियों व खाद्य आपूर्ति निगम के कर्मचारियों को बचाने के चक्कर में डिपो धारकों को निशाना बना कर लाखों रुपए जुर्माना लगा रहा है जो तर्कसंगत नहीं है। जिन निगम के गोदाम इंचार्जों ने डिपो धारकों के एक ही माह में तीन से चार बिल काटे, वे किसके इशारे पर काटे। नियमानुसार निगम का गोदाम इंचार्ज निरीक्षक काटे गए परमिट से अधिक किसी भी डिपो धारक का बिल नहीं काट सकता, यदि विभाग द्वारा काटे गए परमिट से अधिक राशन के बिल गोदाम इंचार्ज द्वारा काटे गए तो किसके इशारे पर और किस मंशा के चलते काटे गए।

विभागीय निरीक्षकों ने डिपो धारकों की मांग से अधिक परमिट काटा तो इसके पीछे क्या कारण था यह सब जांच का विषय है। अशोक कवि ने सरकार से इस सारे मामले की गहनता से जांच करवाने की मांग की ताकि दोषियों को सजा मिल सके और निर्दोष को न्याय।

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