Shimla: 54 साल बाद झड़ग में देवता नागेश्वर के शांद महायज्ञ की धूम, शिखा पूजन और फेर रस्म में उमड़ा आस्था का सैलाब

Edited By Vijay, Updated: 05 Dec, 2025 08:08 PM

shand mahayagya

जुब्बल उपमंडल का झड़ग गांव इन दिनों पूरी तरह देवत्व और लोक संस्कृति की छटा में रंगा हुआ है। देवता नागेश्वर की छत्रछाया में आयोजित ऐतिहासिक शांद महायज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को शिखाफेर और शिखा पूजन की परंपरागत व पौराणिक रस्में विधि-विधान के साथ...

रोहड़ू (बशनाट): शिमला जिला के जुब्बल उपमंडल का झड़ग गांव इन दिनों पूरी तरह देवत्व और लोक संस्कृति की छटा में रंगा हुआ है। देवता नागेश्वर की छत्रछाया में आयोजित ऐतिहासिक शांद महायज्ञ के दूसरे दिन शुक्रवार को शिखाफेर और शिखा पूजन की परंपरागत व पौराणिक रस्में विधि-विधान के साथ संपन्न हुईं। सुबह ठीक 4 बजे नाथ साधु द्वारा बजाई गई शंख ध्वनि से पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा की लहर दौड़ गई। उसके बाद झड़ग गांववासियों ने पारंपरिक फेर रस्म निभाई, जिसमें गांव के युवा तलवारें, लाठियां और बंदूकें लेकर नृत्य, जयकारों और लोकगान करते हुए पूरे क्षेत्र की परिक्रमा पर निकले। यह परिक्रमा गांव को अमंगलकारी शक्तियों से रक्षा और पूरे क्षेत्र में सुख-समृद्धि की मंगलकामना का प्रतीक मानी जाती है।

परिक्रमा के उपरांत शिखा पूजन की पवित्र प्रक्रिया आरंभ हुई, जिसका दायित्व देवता साहिब धौंलू महाराज द्वारा निभाया गया। देवता साहिब नागेश्वर के पुरोहितों ने स्थानीय ग्रिप्टा खानदान व देवताओं के गुरों की मौजूदगी में शिखर पर लाल, सफेद और पीली पताकाएं फहराईं तथा नारियल काटकर परंपरागत रस्म को पूर्ण किया। महायज्ञ में आमंत्रित भिन्न-भिन्न खूंदों ने क्रमबद्ध होकर पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य, गायन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से महायज्ञ को रंगीन और आनंदमय बना दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप, देवताओं के जयकारे और श्रद्धालुओं की उमंग से पूरा झड़ग क्षेत्र दिनभर देवमय वातावरण में डूबा रहा। गौरतलब है कि देवता नागेश्वर के सम्मान में यह महायज्ञ 54 साल बाद आयोजित हो रहा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की शांति, समृद्धि और देव शक्तियों के आशीर्वाद को सशक्त करना है।

आध्यात्मिक ऊर्जा के संरक्षक और परंपराओं के प्रहरी होते हैं नाथ साधु
शांद महायज्ञ में नाथ साधु अत्यंत महत्वपूर्ण आध्यात्मिक भूमिका निभाते हैं। इन्हें अनुष्ठान का आध्यात्मिक प्रमुख माना जाता है, जो गुरु गोरखनाथ की परंपरा से जुड़े विशेष मंत्रों का जाप कर देव शक्तियों का आह्वान करते हैं। नाथ साधु पूरे आयोजन के दौरान पूजा-अर्चना, ध्यान और जप के माध्यम से वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भरने तथा अनुष्ठानों की शुद्धता बनाए रखने का दायित्व निभाते हैं।

22 नवम्बर से प्रतिदिन रात में कर रहे गांव की परिक्रमा 
झड़ग में आयोजित शांद महायज्ञ में इस बार उत्तराखंड के नैंटवाड़ स्थित दानवीर कर्ण महाराज मंदिर के कैलाश नाथ प्रमुख भूमिका में मौजूद हैं। पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि वह 22 नवम्बर से प्रतिदिन रात में गांव की परिक्रमा कर रहे हैं। इस परिक्रमा का उद्देश्य क्षेत्र में शांति, सुख, समृद्धि और अच्छी फसल की कामना करना है, साथ ही यह भूत-प्रेत, ढांकणी-शांकणी जैसी नकारात्मक शक्तियों तथा प्राकृतिक विपत्तियों से रक्षा का प्रतीक माना जाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि नाथों की साधना से महायज्ञ की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और गांव में सौहार्द, आस्था और सुरक्षा का भाव मजबूत होता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!