डॉक्टरों का NPA बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण फैसला, सरकार जल्द वापस ले : जयराम

Edited By Vijay, Updated: 27 May, 2023 06:09 PM

opposition leader jairam thakur

हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरों का एनपीए बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी में कहा कि बड़ी हैरानी की बात ये है कि जिस मंत्री के पास ये महकमा है वह इस प्रकार के फैसले को लेकर अनभिज्ञता जताते हैं जबकि 17 मई की जिस कैबिनेट...

मंडी (रजनीश): हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरों का एनपीए बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मंडी में कहा कि बड़ी हैरानी की बात ये है कि जिस मंत्री के पास ये महकमा है वह इस प्रकार के फैसले को लेकर अनभिज्ञता जताते हैं जबकि 17 मई की जिस कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया उसमें मंत्री जी स्वयं मौजूद थे। अब ऐसे में सवाल पैदा होता है कि स्वास्थ्य मंत्री आखिर कैबिनेट में क्या करने जाते हैं। उन्हें यही मालूम नहीं कि उनके विभाग का कौन-सा फैसला आज कैबिनेट में लिया जाना है और क्या निर्णय हुआ। उसी कैबिनेट में आइटम नंबर 33 में ये एनपीए का फैसला लिया गया था,  जिसमें मंत्री जी बैठे थे। सरकार के इस फैसले के बाद पूरे प्रदेश में डाॅक्टरों ने हड़ताल का फैसला लिया था और हमसे भी इनके प्रतिनिधि लगातार संपर्क कर रहे हैं लेकिन हमने उन्हें ऐसा न करने को कहा है क्योंकि सारे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं अचानक हड़ताल से एकदम चरमर्रा जाएगी। ये वही ब्यूरोक्रेट्स हैं जो नहीं चाहते कि अपने से ज्यादा सैलरी डाॅक्टरों की हो। मेरे समय में भी ऐसी प्रपोजल लेकर कैबिनेट में ये आए थे लेकिन हमने इतना तय किया था कि मुख्य सचिव से ज्यादा किसी डॉक्टर की सैलरी न जाए। 

ओपीएस दो लेकिन किसी का गला काटकर नहीं
मंडी में प्रैस वार्ता करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि डॉक्टरों का एनपीए बंद करके सरकार ओपीएस देने का प्रबंध कर रही है। जो डॉक्टर अपनी जिंदगी के 12 से 15 वर्ष पढ़ाई करके लोगों की सेवा में दिन-रात प्रयासरत हैं, उनकी जेब काटकर ओपीएस का प्रबंध करना तर्कसंगत नहीं है। आप ओपीएस दो लेकिन किसी का गला काटकर नहीं। स्वास्थ्य इंडिकेटर्स के मामले में हिमाचल देश में नंबर वन है। एनपीए बंद करके सरकार ने न केवल डॉक्टरों को हतोत्साहित करने का काम किया है बल्कि इन हैल्थ इंडिकेटर्स के भी दूरगामी दुष्प्रभाव होने वाले हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अब प्राइवेट प्रैक्टिस को बढ़ावा मिलेगा, जिसका अतिरिक्त बोझ लोगों की जेब पर ही पड़ेगा। एक डॉक्टर को 24 घंटे हर तरह की इमरजैंसी से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ता है। एनपीए देकर सरकार कोई एहसान नहीं करती बल्कि डॉक्टर की मेहनत का उचित मेहनताना ही देती है। 

फैसला वापस नहीं लिया तो भाजपा करेगी प्रदर्शन
सरकार का यह फैसला शिक्षा को भी हतोत्साहित करने वाला कहा जा सकता है। एमबीबीएस दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा में एक होती है। हर माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने का सपना देखते हैं। आज गांव के गरीब परिवार का बच्चा भी पढ़-लिखकर डॉक्टर बनने का ख्वाब पालता है और ऐसे कई डॉक्टर आम घरों से ही बने हैं। ऐसे में उनको एनपीए न देना सही नहीं। भाजपा सरकार के इस फैसले का विरोध करती है और सरकार को चेताती है कि अगर ये फैसला वापस नहीं लिया तो भाजपा ही प्रदर्शन करेगी क्योंकि हम नहीं चाहते लोगों की सेवा में तैनात डॉक्टरों को हड़ताल पा जाने की नौबत आए।

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