Edited By Kuldeep, Updated: 21 Jun, 2025 08:22 PM

1 जनवरी, 2016 के बाद नियुक्त अनुबंध कर्मचारियों को भी संशोधित वेतनमान का लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करते हुए 1 जनवरी, 2016 के बाद नियुक्त अनुबंध कर्मचारियों को उनके अनुबंध काल के संशोधित वेतनमान का लाभ देने का निर्णय...
शिमला (मनोहर): 1 जनवरी, 2016 के बाद नियुक्त अनुबंध कर्मचारियों को भी संशोधित वेतनमान का लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करते हुए 1 जनवरी, 2016 के बाद नियुक्त अनुबंध कर्मचारियों को उनके अनुबंध काल के संशोधित वेतनमान का लाभ देने का निर्णय ले लिया है। याचिकाकर्त्ताओं की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से दी गई हिदायत की प्रति कोर्ट को सौंपी, जिसके तहत कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्त्ताओं को अनुबंध अवधि के लिए मिलने वाले लाभ हाईकोर्ट के आदेशानुसार संशोधित व पुनर्निर्धारित कर दिए गए हैं। कोर्ट ने अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को तीन माह के भीतर याचिकाकर्त्ताओं को बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए माना था कि याचिकाकर्त्ता 3 जनवरी, 2022 को अधिसूचित संशोधित वेतनमान के लाभों के हकदार हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वे याचिकाकर्त्ताओं का वेतन उस अवधि के लिए फिर से तय करें, जब उन्होंने अनुबंध के आधार पर असंशोधित पे बैंड ग्रेड पे के न्यूनतम वेतनमान पर सेवा आरंभ की थी। जब प्रार्थी 1 जनवरी 2016 के बाद अनुबंध पर नियुक्त हुए थे, तब उनका वेतन संशोधित नहीं किया गया था। 3 जनवरी 2022 को एक अधिसूचना जारी कर 1 जनवरी, 2016 से वेतनमान में संशोधन को लागू किया गया। कोर्ट ने कहा था कि संयोग से, याचिकाकर्त्ता यह दावा नहीं कर रहे हैं कि उन्हें अनुबंध के आधार पर उनके नियुक्ति पत्रों में जो कुछ भी शामिल है, उससे अधिक कुछ भी दिया जाए। उनकी एकमात्र मांग यह है कि उन्हें दिए गए वेतन बैंड ग्रेड वेतन के न्यूनतम और संशोधित वेतनमान के बीच के अंतर के वेतनमान का लाभ उन्हें दिया जाए।
मामले के अनुसार याचिकाकर्त्ताओं की अनुबंध के आधार पर नियुक्ति पर, उन्हें वेतन बैंड ग्रेड वेतन के न्यूनतम पर नियुक्ति की पेशकश की गई थी। अब 3 जनवरी, 2022 की अधिसूचना जारी होने के बाद, जिस वेतन बैंड पर याचिकाकर्त्ताओं को अनुबंध के आधार पर नियुक्ति की पेशकश की गई थी, उसे 01 जनवरी 2016 से संशोधित कर दिया गया। राज्य सरकार की दलील थी कि 3 जनवरी, 2022 की अधिसूचना केवल नियमित कर्मचारियों से संबंधित थी, इसलिए याचिकाकर्त्ता जिन्हें अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया गया था, वे उक्त अधिसूचना के लाभों के हकदार नहीं हैं। न्यायालय का विचार था कि राज्य की यह दलील कानून की दृष्टि से टिकने योग्य नहीं है।