Edited By Vijay, Updated: 19 Feb, 2025 06:39 PM
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लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पलटवार करते केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को पहले अपने विभाग की जानकारी जुटाने तथा फिर बयानबाजी करने की सलाह दी है।
शिमला (भूपिन्द्र): लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पलटवार करते केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को पहले अपने विभाग की जानकारी जुटाने तथा फिर बयानबाजी करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय राज्य मंत्री को पहले अपने मंत्रालय का अध्ययन करने की आवश्यकता है, उनको अपने विभाग की समझ नहीं है। उन्होंने बिट्टू के बयानों को आंकड़ों से विपरीत करार दिया तथा कहा कि उन्होंने हिमाचल आकर तथ्यहीन बयानबाजी कर सनसनी फैलाने का प्रयास किया है। किसी भी मंत्री को राज्य में आकर भ्रांतियां नहीं फैलानी चाहिए।
मंत्रालय के आंकड़ों से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं बिट्टू
दिल्ली से लौटने के बाद बुधवार को शिमला में पत्रकारों को संबोधित करते हुए विक्रमादित्य ने कहा कि रवनीत बिट्टू ने हिमाचल को बजट में 11806 करोड़ रुपए देने का झूठा दावा किया है। बिट्टू अभी नए मंत्री बने हैं। मंत्रालय के आंकड़ों से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। मंत्री ने कहा कि जिस 11806 करोड़ रुपए का जिक्र वह कर रहे हैं, वह रेलवे की वैबसाइट और पिंक बुक जहां पर बजट का जिक्र होता है कहीं पर भी नहीं है। ऐसे में उन्हें आंकड़ों को गलत तरीके से पेश नहीं करना चाहिए। बिट्टू अभी भी यूथ कांग्रेस की सोच में फंसे हुए हैं। हालांकि वह इसमें नहीं जाना चाहते कि उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी।
बजट को लेकर रवनीत सिंह बिट्टू ने गलत आंकड़े पेश किए
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि केंद्रीय बजट में हिमाचल के लिए बजट को लेकर रवनीत सिंह बिट्टू ने गलत आंकड़े पेश किए हैं, क्योंकि अभी तक बजट को लेकर कोई विस्तृत जानकारी नहीं आई है, ऐसे में गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रवनीत सिंह बिट्टू भ्रांतियां फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भानुपल्ली रेलवे लाइन के लिए 2021-22 में 1289 करोड़ रुपए, 2022-23 में भी 1289 करोड़ रुपए और 2023-24 में भी 1289 करोड़ रुपाए देने की बात कही गई। इन तीन वर्षों में 3867 करोड़ रुपए देने की बात कही, लेकिन असल में खर्च 1991 करोड़ रुपए हुए हैं।
देरी की वजह से बढ़ गई भानुपल्ली रेलवे लाइन की लागत
भानुपल्ली रेलवे लाइन की अनुमानित लागत 3000 करोड़ रुपए थी, जिसमें से भू अधिग्रहण पर 70 करोड़ लागत आनी थी। देरी की वजह से इसकी लागत 7000 करोड़ रुपए हो गई है। फिर भी केंद्र सरकार भू अधिग्रहण के लिए बजट नहीं दे रही है। राज्य सरकार रेलवे लाइन पर 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। आर्थिक मदद को लेकर केंद्र के सौतेले व्यवहार से जुड़े सवाल पर विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वर्ष 2018-19 में हिमाचल को रैवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 13 हजार करोड़ रुपए मिल रहे थे। वर्ष 2025-26 में यह कम होकर 3000 करोड़ रुपए मिलेंगे। सीधे-सीधे प्रदेश की आर्थिकी को 10 हजार करोड़ रुपए का झटका लगा है। उन्होंने कहा कि फैडरल स्ट्रक्चर में हर चीज को राजनीति से देखना गलत है।
रजनी पाटिल से मिलकर की संगठन के जल्द बनाने की मांग
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस की नव नियुक्त प्रभारी रजनी पाटिल सहित पूर्व प्रभारी राजीव शुक्ला से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पाटिल से जल्द संगठन बनाने का आग्रह किया। साथ ही नए चेहरों को संगठन में जगह देने की मांग भी उठाई गई है। पाटिल मार्च के पहले सप्ताह में हिमाचल का दौरा करेंगी।
केंद्र को भी चलना होगा एक कदम
उन्होंने ने राज्यपाल के बयान पर कहा कि केंद्र के साथ राज्य के अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 2 कदम चलने को तैयार है। मगर केंद्र को भी एक कदम चलना होगा। केंद्र को हिमाचल का पूरा समर्थन करना चाहिए। हर चीज को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। दरअसल राज्यपाल ने केंद्र के साथ मिलकर चलने की बात कही थी।
ये भी कहा
- आने वाले समय में सतलुज नदी के किनारे बिलासपुर से रामपुर व किन्नौर तक पहुंचनी चाहिए रेल लाइन।
- ग्रीन कवर व पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल को मिलना चाहिए पूरा सहयोग।
- हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विपक्ष को भी करना चाहिए सहयोग।
हिमाचल को उत्तराखंड के मुकाबले दी बहुत कम सहायता : जगत सिंह नेगी
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शिमला से जारी बयान में केंद्रीय राज्यमंत्री के बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत करार देते हुए कहा कि वर्ष 2014 से 2024 के बीच हिमाचल प्रदेश को उत्तराखंड के मुकाबले केंद्र सरकार से बहुत कम वित्तीय सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि ऐसी वित्तीय सहायता केंद्र प्रायोजित योजनाओं का हिस्सा है, जो हिमाचल प्रदेश के लोगों पर कोई उपकार नहीं बल्कि उनका संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं, जबकि विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर सहित अन्य भाजपा नेता संवैधानिक रूप से अनिवार्य वित्तीय सहायता को केंद्र सरकार की ओर से एक उदार संकेत के रूप में पेश करते हैं।
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