Edited By Jyoti M, Updated: 26 Nov, 2024 12:55 PM
कुल्लू का मलाणा गांव बाढ़ के कारण आई कठिनाइयों से जूझ रहा था, जिसका समाधान निवासियों ने मिलकर खुद ही निकाल लिया है। बाढ़ से हुए नुक्सान के बावजूद...
हिमाचल डेस्क। कुल्लू का मलाणा गांव बाढ़ के कारण आई कठिनाइयों से जूझ रहा था, जिसका समाधान निवासियों ने मिलकर खुद ही निकाल लिया है। बाढ़ से हुए नुक्सान के बावजूद मलाणा के लोगों ने अद्भुत जज्बा दिखाते हुए नदी के ऊपर एक और पुल बना दिया, जिससे उनकी दिनचर्या को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिली।
सिस्टम की असफलता के बाद ग्रामीणों ने खुद उठाया कदम
मलाणा के ग्रामीणों ने सरकार से बार-बार पुल और सड़क की मुरम्मत या निर्माण के लिए मांग की थी, लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने खुद ही इसका समाधान खोजने का फैसला किया। उन्होंने अपने सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए नदी पर दो बड़े पुल और तीन पुलियां तैयार कीं। इस जुगाड़ से न केवल मलाणा के ग्रामीणों का जनजीवन बहाल हुआ, बल्कि उनकी मेहनत ने यह भी साबित कर दिया कि जब इच्छा शक्ति मजबूत हो तो कोई भी समस्या हल हो सकती है।
ग्रामीणों की एकजुटता और प्रयास
मलाणा के पुलों के निर्माण में लगभग 250 ग्रामीणों ने दिन-रात एक कर दिया। ठंडी हवाओं के बावजूद, ग्रामीणों ने नदी के पास अलाव जलाकर, बारी-बारी से काम किया। यह सब खुद के संसाधनों से किया गया, क्योंकि बाढ़ के बाद सरकारी मदद का कोई स्पष्ट रूप नहीं था। मलाणा के कुछ प्रमुख ग्रामीणों ने कहा कि उन्होने कई बार प्रशासन को अपनी समस्या के बारे में बताया, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो हमने ठान लिया कि इस काम को हम खुद ही करेंगे।
आर्थिक और भौतिक मदद का अभाव
मलाणा पंचायत के प्रधान राजू राम ने इस पूरे प्रयास को सराहते हुए बताया कि हमारे पास बजट की कमी थी, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की। इसके बावजूद 250 से अधिक लोग एकजुट हुए और खुद के बलबूते पर पुल का निर्माण कार्य शुरू किया। अब इस पुल से 2800 की आबादी को फायदा होगा और मलाणा के लोग नदी के आर-पार आसानी से जा सकेंगे। प्रधान राजू राम ने बताया कि मलाणा के लोगों ने एक और पुल का कार्य शुरू कर दिया है, जिसे जल्द तैयार कर लिया जाएगा।
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