Edited By Jyoti M, Updated: 24 Sep, 2024 01:19 PM
धर्मशाला के नड्डी में स्थित ऐतिहासिक डल झील एक बार फिर से रिसाव की समस्या से जूझ रही है, जिससे यह सूखने की कगार पर पहुंच गई है। इस समस्या ने न केवल झील के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है, बल्कि क्षेत्र की सुंदरता और पर्यटन को भी खतरे में डाल...
हिमाचल डेस्क। धर्मशाला के नड्डी में स्थित ऐतिहासिक डल झील एक बार फिर से रिसाव की समस्या से जूझ रही है, जिससे यह सूखने की कगार पर पहुंच गई है। इस समस्या ने न केवल झील के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है, बल्कि क्षेत्र की सुंदरता और पर्यटन को भी खतरे में डाल दिया है।
समस्या का इतिहास
डल झील में रिसाव की समस्या कई वर्षों से चल रही है। हाल ही में राधाष्टमी के पर्व पर भी इस समस्या ने अपना असर दिखाया था, जब जल शक्ति विभाग ने पेयजल योजना के पानी से झील को भरा था। लेकिन अब फिर से पानी का स्तर कम होता जा रहा है, जिससे झील की मछलियों पर भी संकट मंडरा रहा है।
पूर्व के प्रयास
इस समस्या के समाधान के लिए पहले भी कई प्रयास किए गए हैं। राजस्थान की मुल्तानी मिट्टी को रिसाव वाले स्थान पर डाला गया था, जिसके लिए 40 से 50 लाख रुपये खर्च किए गए। लेकिन इसके बावजूद रिसाव की समस्या जस की तस बनी हुई है।
प्रशासनिक पहल
रिसाव की सूचना मिलने के बाद, एसडीएम संजीव भोट ने मंदिर अधिकारी और अन्य अधिकारियों के साथ मौके का दौरा किया। उन्होंने नगर निगम के जेई को मछलियों को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। जल शक्ति विभाग को झील में समय-समय पर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने पूर्व में किए गए सर्वे की रिपोर्ट भी मांगी है, जिससे आगामी कदमों की योजना बनाई जा सके। डल झील की स्थिति न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति और पर्यटन का भी अभिन्न हिस्सा है।
अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो डल झील की सुंदरता और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। यह आवश्यक है कि सभी संबंधित विभाग मिलकर एक स्थायी समाधान निकालें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ऐतिहासिक झील को संरक्षित किया जा सके।