Mandi: शहीद नायब सूबेदार राकेश कुमार के घर पहुंची सांसद कंगना रनौत, परिजनों से मिलकर जताया शोक

Edited By Jyoti M, Updated: 16 Nov, 2024 04:51 PM

kangana reached the house of martyr naib subedar rakesh kumar

मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद कंगना रनौत ने बलिदानी नायब सूबेदार राकेश कुमार के घर जाकर शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और ढांढस बंधाया। राकेश कुमार जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे।

हिमाचल डेस्क। मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद कंगना रनौत ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले नायब सूबेदार राकेश कुमार के घर जाकर शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और ढांढस बंधाया। राकेश कुमार जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे।

कंगना रनौत ने इस दौरान कहा कि कुछ दिन पहले नायब सूबेदार राकेश कुमार जम्मू-कश्मीर में उग्रवादियों से मुकाबला करते हुए हमारे देश के लिए शहीद हो गए। आज मैं उनके घर आई हूं और उनके परिवार से मिली। उनके बच्चों और अन्य परिवारजनों से बात की। उन्होंने भी यही कहा कि पिता के शहीद होने का शोक तो है, लेकिन गर्व भी है कि उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। कंगना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीदों और उनके परिवारों के प्रति विशेष संवेदनशील हैं, और हम सब उनकी शहादत को हमेशा याद रखेंगे।

देश के लिए बलिदान हुए नायब सूबेदार राकेश कुमार 
मंडी जिला के नाचन विधानसभा क्षेत्र के छम्यार पंचायत के बरनोग गांव निवासी नायब सूबेदार राकेश कुमार ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने के बाद घायल हो गए, इस पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उपचार के दौरान उन्होंने देश के लिए बलिदान दे दिया। राकेश कुमार की शहादत ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र को गहरे शोक में डुबो दिया। उनकी धर्मपत्नी भानुप्रिया का हाल बुरा है, लेकिन उन्होंने अपने पति की शहादत को गर्व के साथ स्वीकार किया। जब 12 नवम्बरर को राकेश कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक घर पहुंचा तो भानुप्रिया ने कठिनाइयों के बावजूद भारत माता की जय का उद्घोष किया, जिससे उनके परिवार और ग्रामीणों में गर्व की भावना का संचार हुआ।

घर बनवाने का किया था वादा
राकेश कुमार का घर अगस्त 2023 में आई प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्होंने अपने बड़े भाई से वादा किया था कि वे जनवरी 2025 में छुट्टियों पर आएंगे और घर को फिर से बनवाएंगे, लेकिन इससे पहले ही देश के लिए उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दे दिया।राकेश कुमार की उम्र महज 42 साल थी और वे भारतीय सेना में लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनका बलिदान न केवल उनके परिवार, बल्कि देश के लिए भी एक बड़ी क्षति है।

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