Himachal: 17 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक मनाया जाएगा पोषण माह

Edited By Jyoti M, Updated: 16 Sep, 2025 03:55 PM

himachal nutrition month will be celebrated from 17 september to 16 october

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आज यहां राष्ट्रीय पोषण माह-2025 के सफल आयोजन के लिए बैठक आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से शुरू हुए पोषण अभियान के अंतर्गत प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है।...

शिमला। उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आज यहां राष्ट्रीय पोषण माह-2025 के सफल आयोजन के लिए बैठक आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 से शुरू हुए पोषण अभियान के अंतर्गत प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 17 सितम्बर से 16 अक्टूबर 2025 तक 8वां पोषण माह पूरे जिला में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाएगा। इस बार की थीम “राइट न्यूट्रिशन, हेल्थी लाइफ” निर्धारित की गई है।

उपायुक्त ने कहा कि पोषण माह का मुख्य उद्देश्य कुपोषण को समाप्त कर स्वस्थ समाज का निर्माण करना है। इसके लिए इस वर्ष चीनी, नमक और तेल का कम सेवन कर मोटापे पर नियंत्रण, वोकल फॉर लोकल, प्रारंभिक शिक्षा एवं देखभाल (ईसीसीई) अंतर्गत पोषण भी-पढ़ाई भी, शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार अभ्यास, पुरुषों की भागीदारी, अभिसरण क्रियाएं और डिजिटलीकरण जैसे विषयों पर विशेष बल दिया जाएगा। इन बिंदुओं पर जिला, खंड, पंचायत, वृत्त एवं आंगनवाड़ी स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे।

उन्होंने बताया कि 17 सितम्बर, 2025 को प्रधानमंत्री स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान का शुभारंभ करेंगे तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभार्थियों को मौद्रिक सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला की सभी 2154 आंगनबाड़ी केंद्रों में गतिविधियां आयोजित कर पोषण माह को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा ताकि जिला को कुपोषण मुक्त किया जा सके। साथ ही उन्होंने आम जनता से भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की।

उपायुक्त ने कहा कि जिला शिमला में अनेक तरह की सब्जियां उत्पाद और व्यंजन उपलब्ध हैं, जैसे गुच्छी, लिंगड़ आदि, जो बच्चों के लिए अत्यधिक पौष्टिक हैं। उन्होंने आग्रह किया कि जो लोग इनका विपणन करते हैं, वह इन्हें अपने बच्चों को भी अवश्य खिलाएं ताकि बच्चों का सही पोषण सुनिश्चित हो सके। जिला के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध स्थानीय उत्पादों और व्यंजनों को बच्चों के आहार में शामिल करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।

उन्होंने सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों और खंड समन्वयकों को निर्देश दिए कि जिला की सभी 2154 आंगनबाड़ी केंद्रों में पालक की खेती की जाए ताकि बच्चों के आहार में हरी सब्जियों के पौष्टिक तत्व शामिल हो सकें। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक क्षेत्र का आहार पैकेज तैयार करने और आंगनबाड़ी केंद्रों में आयुष विभाग के योगा गाइड की सेवाएं लेने पर भी बल दिया गया, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके।

उपायुक्त ने यह भी कहा कि बच्चों के विकास पर केवल एक माह नहीं बल्कि पूरे 12 माह कार्य किया जाना चाहिए। कोई भी बच्चा सही पोषण से वंचित न रहे, यह सभी विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बच्चे किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी और उसके उज्ज्वल भविष्य की नींव होते हैं। उनकी शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच ही भारत की दिशा और दशा तय करती है। अतः बच्चों का सर्वांगीण विकास करना हर परिवार, समाज और राष्ट्र की प्राथमिक जिम्मेदारी है। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ममता पॉल, बाल विकास परियोजना अधिकारी तथा स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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