Edited By Vijay, Updated: 10 Aug, 2023 10:54 PM

प्रदेश हाईकोर्ट में ऊना के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में नाबार्ड के तहत बनने वाली सड़क की निविदा प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। कांगड़ा के सरकारी ठेकेदार राजिंद्र सिंह राणा ने कुटलैहड़ से विधायक दविंद्र कुमार के बेटे पर फर्जी दस्तावेज बनाकर ठेकेदारी...
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट में ऊना के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में नाबार्ड के तहत बनने वाली सड़क की निविदा प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। कांगड़ा के सरकारी ठेकेदार राजिंद्र सिंह राणा ने कुटलैहड़ से विधायक दविंद्र कुमार के बेटे पर फर्जी दस्तावेज बनाकर ठेकेदारी करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार सहित कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक और उनके बेटे से जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई 12 सितम्बर को निर्धारित की गई है।
प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि स्थानीय विधायक के बेटे को फर्जी दस्तावेज के आधार पर निविदा प्रक्रिया में भाग लेने की छूट दी गई है। बिना जांच ही लोक निर्माण विभाग की तकनीकी मूल्यांकन समिति ने भी उसे योग्य घोषित कर दिया है। आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी करण राज सिंह ने तकनीकी बिड के साथ फर्जी दस्तावेज संलग्न किए हैं। कोर्ट को बताया गया कि लोक निर्माण विभाग ने 24 अप्रैल, 2023 को नाबार्ड के तहत बनने वाली सड़क धतेहड़-महराना डूहक के लिए ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की थी। इस सड़क को बनाने के लिए अनुमानित लागत 327.51 लाख रुपए रखी गई थी, जबकि 36.16 लाख रुपए इसके रखरखाव के लिए रखे गए थे। इसके अलावा बोली लगाने के लिए 7.28 लाख रुपए की प्रतिभूति राशि निर्धारित की गई थी। करण राज सिंह पर आरोप लगाया गया है कि उसने अपने पिता का शपथ पत्र निविदा की बोली के साथ लगाया है। शपथ पत्र में बताया गया है कि उसका बेटा क्रशर और ठेकेदारी का काम 7 जुलाई, 2022 से कर रहा है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि करण राज सिंह को लोक निर्माण विभाग ने 4 फरवरी, 2023 को ठेकेदारी का लाइसैंस जारी किया है। कोर्ट को बताया गया कि उसे यह लाइसैंस सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री के आधार पर दिया गया है, जबकि शपथ पत्र के अनुसार वह 21 वर्ष की आयु में सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लिए बगैर ही ठेकेदारी का कार्य संभाल रहा था। आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी करण राज ने ठेकेदारी का लाइसैंस जारी होने से पहले का जीएसटी प्रमाण पत्र जमा करवाया है। इसके बावजूद भी लोक निर्माण विभाग की तकनीकी मूल्यांकन समिति ने उसे निविदा प्रक्रिया में योग्य घोषित कर दिया। प्रार्थी ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि लोक निर्माण विभाग की तकनीकी मूल्यांकन समिति की सिफारिशों को रद्द किया जाए।
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