Edited By Kuldeep, Updated: 04 May, 2025 08:49 PM

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि खराब प्रदर्शन करने पर दंडित अध्यापक को अपील करने का अधिकार क्यों नहीं दिया है।
शिमला (मनोहर): हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि खराब प्रदर्शन करने पर दंडित अध्यापक को अपील करने का अधिकार क्यों नहीं दिया है। कोर्ट ने बोर्ड परीक्षा में खराब परिणाम देने वाले शिक्षक की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार से 3 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि नियमों में ऐसे दोष और दंड के खिलाफ अपील का प्रावधान क्यों नहीं है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात कहा कि संचयी प्रभाव के साथ या उसके बिना वेतन वृद्धि रोकना एक कर्मचारी पर लगाया गंभीर दंड है, जिसका उसके सेवा जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
कोर्ट ने पाया कि हिमाचल प्रदेश माध्यमिक शिक्षा संहिता में संचयी प्रभाव के साथ या उसके बिना वेतन वृद्धि रोकने का दंड लगाने वाले ऐसे आदेश के खिलाफ अपील आदि का कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को याचिका का जवाब और कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का उत्तर देने के आदेश दिए। कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश माध्यमिक शिक्षा संहिता के निर्माण के स्रोत को भी स्पष्ट करने के आदेश जारी किए। मामले के अनुसार, याचिकाकर्त्ता प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (नॉन मैडीकल) के रूप में सेवारत है। शैक्षणिक सत्र 2023-24 के दौरान याचिकाकर्त्ता द्वारा पढ़ाई गई कक्षा 10 के बोर्ड परिणाम बेहतर नहीं पाए गए।
इस पर शिक्षा निदेशक द्वारा उसे 28 जून 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। यह कारण बताओ नोटिस संशोधित शिक्षा संहिता-2012 के अध्याय-II के खंड 2.20.3 में निहित प्रावधानों के अनुसार था। याचिकाकर्त्ता को कारण बताओ नोटिस का उत्तर प्रस्तुत करना था कि कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में खराब परिणाम देने के लिए उसके खिलाफ उचित दंड क्यों न लगाया जाए। प्रार्थी का कहना था कि याचिकाकर्त्ता ने अपना उत्तर प्रस्तुत किया, जिस पर निदेशक द्वारा संतोषप्रद रूप से विचार नहीं किया गया और 23 अगस्त 2024 के आदेश के तहत उस पर संचयी प्रभाव के बिना एक वर्ष के लिए एक वेतन वृद्धि रोकने का दंड लगाया गया। अपील का कोई प्रावधान न होने पर प्रार्थी को इस दंड के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी।