Himachal: उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने की पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी, वृंदावन में प्रेमानंद महाराज से की मुलाकात

Edited By Jyoti M, Updated: 09 Dec, 2024 05:13 PM

himachal deputy chief minister fulfilled his wife s last wish

हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने प्रेमानंद जी महाराज का आशीर्वाद लिया। 10 फरवरी, 2024 को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की पत्नी सिम्मी अग्निहोत्री का अकाल निधन हो...

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए वृंदावन पहुंचे, जहां उन्होंने प्रेमानंद जी महाराज का आशीर्वाद लिया। 10 फरवरी, 2024 को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की पत्नी सिम्मी अग्निहोत्री का अकाल निधन हो गया था, जो उनके पति मुकेश अग्निहोत्री के लिए एक अत्यधिक दुखद और कठिन समय था। वृंदावन पहुंचने के वीडियो को मुकेश अग्निहोत्री के आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से साझा किया गया है। 

प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन और भागवत पाठ की सलाह

उन्होंने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को संस्कृत भाषा में भागवत का पाठ करवाने की सलाह दी। कहा गया कि संस्कृत का ज्ञाता पूर्ण निष्ठा के साथ भागवत पाठ को पूरा करेगा। भागवत पाठ सुनने के लिए मुकेश अग्निहोत्री से कहा गया। प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि संस्कृत में भागवत के पाठ से उन्नति होगी।

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हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन विभाग में कार्यरत प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री सरल और सौम्य स्वभाव की धनी थीं। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने प्रेम विवाह किया था। सिम्मी अग्निहोत्री हमेशा पति के संघर्षों में कंधे से कंधा मिलाकर चलीं। 2003 में मुकेश अग्निहोत्री ने पत्रकारिता छोड़ पहली बार चुनाव लड़ने का फैसला लिया। पति के फैसले का समर्थन पत्नी ने किया। उनका योगदान न केवल व्यक्तिगत बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम था, और वह पति के राजनीतिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहती थीं। पत्नी की असमय मृत्यु के बाद, मुकेश अग्निहोत्री को जो शून्य और खालीपन महसूस हो रहा है, वह शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। 

मुकेश अग्निहोत्री ने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट वीडियों सांझा करते हुए लिखा कि प्रोफेसर सिम्मी अग्निहोत्री का ईश्वर और परमार्थ में अटूट विश्वास था। वह निरंतर मंदिरों में जाती थी अपनी पुण्य कमाई पूजा पाठ यज्ञ और ग़रीबों पर लगाती थीं।

संतों से मिलने की भी उनकी जिज्ञासा रहती थी। इस साल के शुरू से ही वह अपनी टीम के साथ मथुरा-वृंदावन का कार्यक्रम तह कर रही थीं और महाराज प्रेमानंद जी से मिलना चाहती थीं, जो संभव ना हुआ।

 

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