Shimla: हाईकोर्ट में संजौली मस्जिद मामले को लेकर सुनवाई, जानें क्या आया फैसला

Edited By Vijay, Updated: 28 Mar, 2025 06:49 PM

hearing on sanjauli masjid case in highcourt

प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को संजौली मस्जिद मामले को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने पूरे ढांचे की वैधता पर अंतिम फैसला लेने की समय सीमा बढ़ा दी है।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को संजौली मस्जिद मामले को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने पूरे ढांचे की वैधता पर अंतिम फैसला लेने की समय सीमा बढ़ा दी है। पहले इस मामले का निपटारा करने के लिए 20 दिसम्बर तक आदेश जारी किए गए थे। इस बीच मामले का निपटारा न होने पर नगर निगम आयुक्त द्वारा 8 सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग करते हुए आवेदन दायर किया गया था। इस आवेदन को स्वीकारते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने निगम आयुक्त को 6 सप्ताह का अतिरिक्त समय प्रदान किया।

गौरतलब है कि इस मामले के जल्द निपटारे के लिए संजौली के स्थानीय निवासियों की ओर से याचिका दायर की गई थी। यह मामला नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत में लंबित है। याचिका के माध्यम से नगर निगम आयुक्त को मामले का जल्द से जल्द निपटारा करने के आदेश जारी करने की मांग की गई थी। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात सभी पक्षों की सहमति से इस याचिका का 21 अक्तूबर को निपटारा करते हुए नगर निगम आयुक्त को 8 सप्ताह के भीतर मस्जिद से जुड़ी 2010 की शिकायत का निपटारा करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद निगम आयुक्त द्वारा फैसला नहीं किया गया और प्रार्थी को अनुपालना याचिका दायर करनी पड़ी। अभी अनुपालना याचिका को सूचीबद्ध भी नहीं किया गया था कि निगम आयुक्त द्वारा 8 सप्ताह के अतिरिक्त समय की मांग करते हुए एक आवेदन हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। 

उल्लेखनीय है कि 5 अक्तूबर को नगर निगम शिमला की आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड के आवेदन पर संजौली में पांच मंजिला मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें गिराने की अनुमति दी थी। हाईकोर्ट में नगर निगम शिमला की ओर से निगम आयुक्त के ढांचा गिराने संबंधी आदेशों का हवाला देते हुए स्थानीय निवासियों की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की मांग की थी। इस मांग को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के शीघ्र निपटारे की मांग पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने निगम आयुक्त के सभी पक्षों को सुनकर फैसला देने के आदेश दिए। 

सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया था कि वर्ष 2010 से लंबित इस मामले में स्थानीय लोगों ने धरातल से ही इस मस्जिद के निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने निगम के स्थानीय कनिष्ठ अभियंता के समक्ष शिकायत की थी, जिसके बाद सलीम टेलर को नोटिस जारी कर मामले को लटकाने की कोशिश की गई क्योंकि उसका इस निर्माण से कोई लेना-देना नहीं था। इस बीच यह इमारत 5 मंजिला बना दी गई। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह मामला पिछले 14 वर्षों से आयुक्त कोर्ट में अटका हुआ है। अभी भी इसकी धरातल से जुड़ी मंजिलों पर आयुक्त कोर्ट के समक्ष मामला लंबित है। प्रार्थियों का कहना है कि नगर निगम अधिनियम के तहत ऐसे मामलों का निपटारा 6 माह के भीतर हो जाना चाहिए परंतु इस मामले में 15 साल से अधिक का समय लग गया है।
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