Edited By Jyoti M, Updated: 31 Dec, 2024 12:56 PM
हिमाचल प्रदेश, जहां शुद्ध आबोहवा और शांत वातावरण के कारण लोग स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद रखते हैं, वहां हृदय रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पहले यह बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित थी, लेकिन अब 20 से 40 साल के युवा भी हार्ट अटैक और अन्य...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश, जहां शुद्ध आबोहवा और शांत वातावरण के कारण लोग स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद रखते हैं, वहां हृदय रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पहले यह बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित थी, लेकिन अब 20 से 40 साल के युवा भी हार्ट अटैक और अन्य कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (आईएचएमई) की रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल में 14.29% मौतों का कारण हृदय रोग है, जो राष्ट्रीय औसत 13.20% से अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिमाचल हृदय रोग के मामलों में देश में पांचवें स्थान पर है, जबकि उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के मामलों में यह दूसरे पायदान पर है।
युवाओं में हृदय रोग के बढ़ते मामलों के कारण:
जीवनशैली में बदलाव: शहरीकरण ने हिमाचल की पारंपरिक जीवनशैली को बदल दिया है। अब अधिकतर युवा जंक फूड, तला-भुना खाना, और चीनी वाले पेय पदार्थों का सेवन करते हैं, जिससे मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों की समस्या बढ़ रही है।
शारीरिक गतिविधियों की कमी: आजकल के युवा कम शारीरिक गतिविधि करते हैं। व्यायाम की कमी और लंबे समय तक बैठकर काम करने से हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
नशे की आदतें: धूम्रपान, शराब और अन्य नशे की आदतें भी हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती हैं।
मानसिक तनाव: शहरी जीवन में तनाव, काम का दबाव, और मानसिक तनाव भी हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
हृदय रोग से बचने के उपाय:
नियमित व्यायाम: हृदय को स्वस्थ रखने के लिए कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली एरोबिक एक्सरसाइज, जैसे सैर, दौड़, साइकलिंग या तैराकी, करनी चाहिए।
स्वस्थ आहार: पारंपरिक हिमाचली आहार, जिसमें साबुत अनाज, दालें, ताजे फल और सब्जियां शामिल हैं, को अपनाना चाहिए। तला-भुना खाना, प्रोसेस्ड स्नैक्स और अत्यधिक चीनी से बचें।
नींद का महत्व: नियमित और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना आवश्यक है, क्योंकि खराब नींद से उच्च रक्तचाप, मोटापा और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान और काउंसलिंग के माध्यम से मानसिक तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है। यह हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
स्वास्थ्य जांच: रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा स्तर की नियमित जांच कराना चाहिए, खासकर अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो।
वहीं, प्रदेश में पिछले 31 साल में 111 फीसदी हृदय रोग के मामले बढ़े हैं। यह आंकड़े युवा वर्ग के लिए भी बड़ी चेतावनी हैं, जो पहले इन बीमारियों से खुद दूर समझे जाते थे। शहरी क्षेत्रों जैसे शिमला और धर्मशाला के आंकड़े ज्यादा गंभीर हैं।
डॉ. विकास कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग, एम्स बिलासपुर ने कहा कि हिमाचल में युवाओं में हृदय रोग का बढ़ता खतरा एक गंभीर चुनौती है। यदि समय रहते इसे समझा जाए और उचित कदम उठाए जाएं, तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग और कम्यूनिटी को मिलकर हृदय रोग के खिलाफ लोगों को जागरूक करना होगा ।