गूगल से कम नहीं है बनखंडी का 3 वर्षीय हर्षिल

Edited By prashant sharma, Updated: 19 Sep, 2021 04:16 PM

bankhandi s 3 year old harshil is no less than google

कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल के तहत आते बनखंडी के कल्लर गांव के एक नन्हे बालक ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज करवाकर पूरे क्षेत्र तथा जिले का नाम रौशन किया है। इस बच्चे ने छोटी सी उम्र में ही अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया...

देहरा (राजीव शर्मा) : कांगड़ा जिले के देहरा उपमंडल के तहत आते बनखंडी के कल्लर गांव के एक नन्हे बालक ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस में अपना नाम दर्ज करवाकर पूरे क्षेत्र तथा जिले का नाम रौशन किया है। इस बच्चे ने छोटी सी उम्र में ही अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराया है जिससे बच्चे के परिवार वालों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र के ग्रामीणों में काफी खुशी का माहौल है। इस नन्हे बच्चे ने जो इतनी छोटी उम्र वर्ष में कर दिखाया है उसे कर दिखाना बड़ों के बस की बात भी नहीं है।

जानिए बनखंडी की कल्लर पंचायत के हर्षिल पठानिया के बारे में

बनखंडी के इस बच्चे की हर कोई दिल खोलकर तारीफ कर रहा है। बनखंडी के अंकुश पठानिया और रिशु परमार के पुत्र हर्षिल पठानिया का नाम महज 3 वर्ष की आयु में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया है। बता दें कि यह प्रतिभाशाली बच्चा हर्षिल पठानिया सामान्य ज्ञान की बहुत सी चीज़ों के लिए गूगल का काम करता है। उसे हाल ही में इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्डस का प्रमाणपत्र भी हासिल हुआ है। बनखंडी क्षेत्र के लोगों की मानें तो हर्षिल पठानिया ने अपने परिवार के साथ-साथ पूरे गांव और जिले का नाम भी रोशन कर दिया है। 

जानिए हर्षिल पठानिया की क्षमताओं के बारे में

हर्षिल पठानिया के माता-पिता ने बताया कि हर्षिल की क्षमताओं ने उन्हें न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर्षिल इस उम्र में ही सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, राष्ट्रीय गान और लेखक का नाम, राष्ट्रीय चिन्ह, दुनिया के सात अजूबों के नाम, सप्ताह और महीनों के नाम, ग्रह और बोने ग्रहों के नाम, राष्ट्रीय मिशन वेदों के नाम, महासागरों के नाम, ऐतिहासिक भवनों के नाम, भारत के सभी राज्यों की राजधानियां, केंद्रीय शासित राज्यों के नाम व उनकी राजधानियां, इंटरनेट लोगो, 185 देशों की राजधानियां, विश्व के 195 देशों के झंडे और 31 आईलैंड के झंडों की पहचान, 30 कार कंपनी लोगो, विश्व स्मारक, पक्षियों के नाम, जानवरों, आकृतियों, वाहनों, रंगों, सब्जियों, फलों, शरीर के अंगों की पहचान, घरेलू उपकरणों के नाम, व्यवसाय, शारीरिक क्रियाओं के नाम, भारत और विश्व के नक्शे की पहचान कर सकता है। वह भारत के मानचित्र को समझता है। सभी भारतीय राज्यों और उनकी राजधानियां उसे जुबानी याद हैं। हर्षिल पठानिया की माता रिशु परमार ने बताया कि हर्षिल को एक बार पढ़ने से ही सब याद हो जाता है।

हर्षिल पठानिया की कामयाबी का श्रेय जाता है उसकी मां रिशु परमार को: अंकुश पठानिया

हर्षिल के पिता अंकुश पठानिया ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की शानदार उपलब्धियों पर उन्हें गर्व है, हमें खुशी है कि हमारे बेटे ने छोटी सी उम्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि हर्षिल की मां ने ही उसे यह कुछ सिखाया है। उन्होंने हर्षिल की कामयाबी का सारा श्रेय उसकी माँ को दिया। उनका कहना था कि वह चंडीगढ़ में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं जिस वजह हर्षिल को ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं, हर्षिल ज्यादा समय अपनी मां के साथ ही बिताता है उसकी मां बच्चे को यह सब सिखाने में मदद करती है। उन्होंने हर्षिल पर अपना सारा ध्यान दिया और प्यार व खेल-खेल में उसे यह सब कुछ सिखाया है और साथ में घर का कार्य भी करती है। जिस वजह से हर्षिल की कामयाबी का सारा श्रेय वह अपनी पत्नी रिशु परमार को देते हैं।
 

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