Edited By Vijay, Updated: 12 Dec, 2025 06:30 PM

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 4 वर्षीय मासूम बच्चे युग गुप्ता की जघन्य हत्या के मामले में पीड़ित परिवार ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
शिमला (वार्ता) : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में 4 वर्षीय मासूम बच्चे युग गुप्ता की जघन्य हत्या के मामले में पीड़ित परिवार ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने 23 सितम्बर, 2025 को अपने फैसले में 2 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था, जबकि तीसरे दोषी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था। पारिवारिक सूत्रों ने यूनिवार्ता में बताया कि युग के पिता विनोद गुप्ता ने शीर्ष अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है। इस मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने 5 सितम्बर, 2018 को चंद्र शर्मा, विक्रांत बक्शी और तेजिंदर पाल को बच्चे के अपहरण, यातना और हत्या के लिए दोषी ठहराते हुए तीनों को मौत की सजा सुनाई थी।
यह दोषसिद्धि 100 से अधिक गवाहों के बयानों और सीआईडी की 2,300 पन्नों की चार्जशीट पर आधारित थी। उच्च न्यायालय ने 23 सितम्बर, 2025 को इस फैसले को संशोधित कर दिया था। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कंथला की खंडपीठ ने कहा कि रिकॉर्ड से यह साबित नहीं होता कि दोषी सुधार की गुंजाइश से परे हैं और चंद्र शर्मा तथा विक्रांत बक्शी की मौत की सजा को कम करते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी, जबकि तेजिंदर पाल को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। परिवार के सदस्यों ने इस फैसले पर दुख व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि तेजिंदर का बरी होना बेहद दुखद है, क्योंकि उसने ही कथित तौर पर युग को बंधक बनाकर रखा और उसे गत्ते के बक्से में ले जाने में मदद की थी। उन्होंने मांग की है कि तेजिंदर को पासपोर्ट जारी न किया जाए और चंद्र शर्मा को कोई पैरोल न दी जाए। विनोद गुप्ता ने कहा कि 11 साल के संघर्ष के बावजूद परिवार आज भी मानता है कि उनके बेटे के लिए न्याय दोषियों को फांसी देने से ही हो पाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्चतम न्यायालय निचली अदालत द्वारा दी गई सजा को बहाल करेगा। गौरतलब है कि 2014 में 4 वर्षीय बच्चे युग गुप्ता का फिरौती के लिए अपहरण किया गया और उसे जबरन शराब पिलाई गई। उसे एक भारी पत्थर से बांध कर नगर निगम के पानी के टैंक में डुबोकर मार दिया गया था।