Edited By Vijay, Updated: 20 Oct, 2024 11:06 PM
लारजी जलविद्युत परियोजना ने अंतर्राष्टीय कुल्लू दशहरा शुरू होने से पूर्व देवी-देवताओं के आगमन और उत्सव संपन्न होने के बाद बांध का पानी कम करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उत्सव संपन्न होने के बाद प्रबंधन की ओर से इसमें कोताही बरतने का मामला सामने आया...
कुल्लू (गौरीशंकर): लारजी जलविद्युत परियोजना ने अंतर्राष्टीय कुल्लू दशहरा शुरू होने से पूर्व देवी-देवताओं के आगमन और उत्सव संपन्न होने के बाद बांध का पानी कम करने का आश्वासन दिया था, लेकिन उत्सव संपन्न होने के बाद प्रबंधन की ओर से इसमें कोताही बरतने का मामला सामने आया है। हालांकि शुरूआत में बांध प्रबंधन ने देवी-देवताओं के आने पर पानी कम किया था जिससे देवी-देवता अपने पुराने रास्ते से उत्सव में पहुंचे और उत्सव के अंतिम दिन भी पानी कम था, लेकिन उत्सव के दूसरे दिन रविवार को जो देवी-देवता वापस जा रहे थे तो उस समय बांध का पानी रोक दिया गया और बांध में पानी का स्तर बढ़ गया, जिस कारण देवी-देवताओं को इस रास्ते में जाना मुश्किल हो गया। देव समाज के लोगों ने कड़ी चुनौतियों के बीच पानी में उतरकर देवी-देवताओं को रास्ता पार करवाया। देव समाज के लोगों ने कहा है कि ऐसे में हादसा हो सकता था लेकिन देव कृपा से सब सुरक्षित निकल पाए।
देवता का रास्ता हुआ जलमग्न
गौरतलब है कि बंजार, आनी और निरमंड क्षेत्र के देवता पुराने रास्ते से होकर आते हैं जो लारजी बांध परियोजना के बांध में जलमग्न होता है लेकिन दशहरा उत्सव के दौरान इस रास्ते को देवी-देवताओं के आगमन के लिए ठीक किया जाता है और बांध के पानी को कम किया जाता है। लिहाजा इस बार भी वैसा ही हुआ, लेकिन दशहरा उत्सव समाप्त होते ही रविवार को प्रबंधन की ओर से पानी रोककर बढ़ा दिया गया, जिसके चलते रास्ते जलमग्न हो गए। ऐसे में देवी-देवताओं को इस रास्ते में ले जाने के लिए जूते उतारकर पानी में घुसना पड़ा और मुश्किलों के बीच देवताओं को आगे निकाला।
टनल से नहीं जाते हैं देवी-देवता
हालांकि औट के पास सुरंग बनी हुई है लेकिन परंपरा है कि देवी-देवता सुरंग से होकर नहीं गुजरते हैं। जहां बांध बना है उसके किनारे पुरानी सड़क है और देवी-देवताओं का रास्ता भी यहीं से है, जिसके चलते हर बार दशहरा उत्सव में देवी-देवता इसी पुराने रास्ते से होकर आते हैं और इनके आने-जाने के समय बांध का पानी कम किया जाता है।
क्या कहता है कारदार संघ
देवी-देवता कारदार संघ के महासचिव टीसी महंत ने बताया कि संघ की तरफ से एसडीएम बंजार के माध्यम से पत्र सौंपा गया था, जिसमें कहा गया था कि दशहरा उत्सव शुरू होने से पहले 10, 11, 12 अक्तूबर और उत्सव संपन्न होने पर 19, 20, 21 अगस्त को बांध का पानी कम करें, लेकिन रविवार को देवी-देवताओं के कारदारों ने आपत्ति जताई है कि सुबह से बांध का पानी बढ़ा हुआ था, जिसे लेकर एसडीएम से भी बात चल रही है।
प्रोजैक्ट के एक्सियन को भेजा पत्र : एसडीएम
एसडीएम बंजार पंकज शर्मा का कहना है कि कारदार संघ की ओर से जो पत्र पानी कम करने के संदर्भ में दिया गया था, उसे लारजी प्रोजैक्ट के एक्सियन को एक्शन के लिए फाॅरवर्ड कर दिया गया जिसमें आगे की कार्रवाई प्रोजैक्ट प्रबंधन को करनी थी। उधर, इस संदर्भ में लारजी विद्युत प्रोजैक्ट के एक्सियन अजय ठाकुर ने बताया कि एनएचपीसी प्रोजैक्ट वाले सुबह पानी छोड़ते हैं, जिस कारण बांध में पानी का स्तर बढ़ गया था लेकिन हमने पानी नहीं रोका है। अभी 2-3 दिन पानी कम रखा जाएगा।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here