Edited By Vijay, Updated: 26 Nov, 2024 05:15 PM
संयुक्त किसान मोर्चा और मजदूर यूनियनों के आह्वान पर मंगलवार को किसानों और मजदूरों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
कुल्लू (गौरी शंकर): संयुक्त किसान मोर्चा और मजदूर यूनियनों के आह्वान पर मंगलवार को किसानों और मजदूरों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर मोदी सरकार की किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस मौके पर हिमाचल किसान सभा के राज्य महासचिव होतम सौंखला ने कहा कि आज हमारे आंदोलन की चौथी वर्षगांठ है, लेकिन मोदी सरकार ने हमारी किसी भी मांग को पूरा नहीं किया। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी, किसानों की कर्जमाफी, किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा और आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों की वापसी जैसी मांगें शामिल थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि आज देश में किसानों की अधिगृहित की जा रही जमीन का भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत 4 गुना मुआवजा नहीं मिल रहा है। प्रदर्शन के दौरान मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपए दिहाड़ी की मांग भी उठाई गई।
सीटू जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने मजदूरों के श्रम कानूनों को समाप्त कर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाया है, जबकि मजदूरों का शोषण बढ़ा है। उन्होंने श्रम संहिताओं को निरस्त करने और मजदूरों को 26000 रुपए न्यूनतम वेतन देने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों से गरीब और गरीब होते जा रहे हैं, जबकि अमीरों की संपत्ति लगातार बढ़ रही है। प्रदर्शन के बाद किसान-मजदूरों की मांगों का एक ज्ञापन उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा गया।
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