Himachal: 8 साल की उम्र में चली गई थी आंखों की रोशनी, अब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह कर रचा इतिहास

Edited By Vijay, Updated: 24 May, 2025 11:49 AM

visually impaired mountaineer chhonzin angmo

अगर जज्बा हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की रहने वाली 28 वर्षीय दृष्टिबाधित पर्वतारोही छोंजिन अंगमो ने। उन्होंने माऊंट एवरैस्ट फतह कर एक नया इतिहास रच दिया है।

शिमला: अगर जज्बा हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की रहने वाली 28 वर्षीय दृष्टिबाधित पर्वतारोही छोंजिन अंगमो ने। उन्होंने माऊंट एवरैस्ट फतह कर एक नया इतिहास रच दिया है। महज 8 साल की उम्र में आंखों की रोशनी खोने के बावजूद अंगमो ने कभी हार नहीं मानी और अब वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी (8848 मीटर) पर तिरंगा फहराने वाली पहली दृष्टिहीन महिला बन गई हैं। छोंजिन अंगमो ने पायनियर एवरेस्ट एक्सपीडिशन के तहत यह उपलब्धि हासिल की। इस कठिन मिशन में उनके साथ गाइड डांडू शेरपा और ओम गुरुंग मौजूद थे।
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छोंजिन अंगमो किन्नौर के चांगों गांव से ताल्लुक रखती हैं। जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तब एक दवा से एलर्जी के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। वर्ष 2006 में पिता अमर चंद और माता सोनम छोमो ने उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल में दाखिल करवाया। बाद में उन्होंने चंडीगढ़ से 12वीं और दिल्ली के मिरांडा हाऊस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की। छोंजिन अंगमो वर्तमान में दिल्ली में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के रूप में कार्यरत हैं। अंगमो ने बताया कि माऊंट एवरैस्ट पर चढ़ने का उनका सपना था। इस सपने को पूरा करने के लिए कई लोगों से सहयोग मांगा, लेकिन किसी ने भी सहयोग नहीं दिया। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से उनका यह सपना साकार हुआ। उन्होंने 2016 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया और सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु का पुरस्कार जीता।
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माऊंट एवरैस्ट से पहले अंगमो सियाचिन के कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) पर भी चढ़ाई कर चुकी हैं। 2021 में उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर में ‘ऑप्रेशन ब्लू फ्रीडम’ अभियान में हिस्सा लिया था। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें 2024 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन’ राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। छोंजिन सिर्फ पर्वतारोहण में ही नहीं, बल्कि खेलों में भी उत्कृष्ट हैं। वह एक राष्ट्रीय स्तर की पैरा-एथलीट हैं और खेलों में कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुकी हैं।

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दृष्टिबाधित पर्वतारोही छोंजिन अंगमो की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है तथा उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया पर अकाऊंट पर दृष्टिबाधित पर्वतारोही छोंजिन अंगमो का फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि किन्नौर जिला के चांगो गांव निवासी छोंजिन अंगमो जी ने माऊंट एवरैस्ट की चोटी पर विजय पताका फहराकर हिमाचल प्रदेश का नाम पूरे देश और पूरी दुनिया में गौरवान्वित किया है। दृष्टिबाधित छोंजिन अंगमो जी ने अपार साहस और अटूट संकल्प से दुनिया को दिखा दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। उनकी यह सफलता युवाओं को अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहने की प्रेरणा प्रदान करेगी। छोंजिन अंगमो जी और उनके परिवार को इस अविस्मरणीय सफलता के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
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