Una: डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम के अधिष्ठाता वेदांताचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज प्रभु चरणों में लीन

Edited By Vijay, Updated: 02 Mar, 2025 07:31 PM

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डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी बसाल के अधिष्ठाता श्री श्री 1008 वेदातांचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज रविवार को नश्वर शरीर को त्याग कर  प्रभु चरणों में लीन हो गए। वह करीब 98 वर्ष के थे और कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।

ऊना (सुरेन्द्र/सरोज): डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी बसाल के अधिष्ठाता श्री श्री 1008 वेदातांचार्य स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज रविवार को नश्वर शरीर को त्याग कर  प्रभु चरणों में लीन हो गए। वह करीब 98 वर्ष के थे और कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। 2 दिन पहले ही उन्हें पीजीआई के आईसीयू केन्द्र में भर्ती किया गया था। यहां उपचार के दौरान उन्होंने रविवार सुबह करीब 7 बजे अंतिम सांस ली। पीजीआई से एम्बुलैंस के जरिए उनकी पार्थिव देह डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम लाई गई। इस दौरान चंडीगढ़ से बसाल तक कई जगह सड़कों पर खड़े श्रद्धालुओं ने महाराज जी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। महाराज श्री की पार्थिव देह को श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए रखा गया है। सोमवार सुबह उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

स्वामी सुग्रीवानंद जी के निधन पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, नेता विपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर व पूर्व सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल सहित सभी नेताओं ने महाराज श्री के निधन पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि महाराज की शिक्षाएं और उपदेश हमेशा जीवंत रहेंगे। राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने स्वामी सुग्रीवानंद जी के निधन पर शोक प्रकट किया है। अपने हरियाणा के सभी कार्यक्रमों को उन्होंने स्थगित कर दिए हैं। संत बाल सोमवार को उनकी अनंत यात्रा के दौरान मौजूद रहेंगे।

 

1952 में हुए थे गद्दीनशीन, 73 वर्ष तक किया जप-तप
ब्रह्मचारियों की गद्दी डेरा बाबा रुद्र की स्थापना बसंत पंचमी के दिन 1850 में हुई। उसी समय यहां अखंड धूना विराजमान किया, जो आज भी निरंतर चल रहा है। आदि गुरु अमरयोगी बाबा रुद्रानंद जी के करकमलों से ही 1874 से यहां सदाव्रत लंगर शुरू किया जो आज भी जारी है। बाबा रुद्रानंद जी के डेरे के संचालक परमानंद जी रहे। उसके बाद अन्य महात्माओं को डेरे का संचालक बनाया गया। आत्मानंद जी को बाद में इस डेरे का महंत बनाया गया जिसके बाद 1952 में स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज को इस गद्दी पर विराजमान किया गया। इस आश्रम में पंचभीष्म के दिन 31 लाख गायत्री मंत्रों का जाप किया जाता है।
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