दिव्यांग सनी ठाकुर का अनोखा कारनामा, कार से पूरा किया 2500 KM का जोखिम भरा सफर

Edited By Vijay, Updated: 16 Apr, 2022 06:27 PM

unique feat of divyang suny thakur

बल्ह विधानसभा क्षेत्र के खियुरी गांव के निवासी सनी ठाकुर पुत्र सूरज ठाकुर ने 75 प्रतिशत दिव्यांगता होने के पश्चात भी अपने बुलंद हौसलों के चलते एक अनोखा कारनामा करके दिखाया है।

नेरचौक (ब्यूरो): बल्ह विधानसभा क्षेत्र के खियुरी गांव के निवासी सनी ठाकुर पुत्र सूरज ठाकुर ने 75 प्रतिशत दिव्यांगता होने के पश्चात भी अपने बुलंद हौसलों के चलते एक अनोखा कारनामा करके दिखाया है। 30 वर्षीय सनी ठाकुर ने वर्ल्ड टफैस्ट रोड एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड व इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाने हेतु हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के दुर्गम सड़क मार्गों से होते हुए अपनी कार द्वारा जोखिम भरे 2500 किलोमीटर के सफर को पूरा किया। शनिवार को उनके घर पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्यों व ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। सनी ठाकुर को 8 अप्रैल को बल्ह के विधायक इंद्र सिंह गांधी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। 

यात्रा के दौरान सनी ठाकुर शिशु, चैरी, पांगी, किलाड़, किश्तवाड़, श्रीनगर, सोनमार्ग, जोजिला पास, लेह, दुनिया के सबसे ऊंचे सड़क मार्ग खरदूंगला पास, चाइना बॉर्डर पर पैंगोंग झील जैसे दुनिया के खतरनाक सड़क मार्ग से होते हुए एक सप्ताह के पश्चात 16 अप्रैल को वापस अपने गृह स्थान खियुरी पहुंचे। इस यात्रा हेतु उन्होंने सरकार के मानदंडों के अनुसार अपनी गाड़ी को अत्याधुनिक तरीके से मॉडीफाई भी करवाया था। उनके पांवों के काम न करने की वजह से उनकी गाड़ी की ब्रेक और एक्सेलरेटर का कंट्रोल हाथों में दिया गया था, जिस वजह से इतना लंबा सफर तय करने पर उनके कंधों और बाजुओं में दर्द और पांव में सूजन आ गई थी। उन्होंने कहा कि सिंगल रोड होने के कारण उन्हें अन्य वाहनों को पास देने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन इन सब कठिनाइयों के पश्चात भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 

पैरा ओलिम्पिक खेलों में भाग लेना अगला लक्ष्य

सनी ठाकुर का अगला लक्ष्य पैरा ओलिम्पिक खेलों में भाग लेना है, जिसके लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर सुविधा मुहैया करवाने की गुहार भी लगाई है। सनी ठाकुर इससे पूर्व एक सामान्य खिलाड़ी के रूप में बिलासपुर होस्टल में कोचिंग ले रहे थे लेकिन एक दुर्घटना के चलते उन्हें दिव्यांगता का सामना करना पड़ा, मगर फिर भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अन्य दिव्यांगों को संदेश देते हुए कहा है कि दिव्यांगता को अपनी कमजोरी न बनाकर उसे अपनी ताकत बनाएं।

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