Edited By Kuldeep, Updated: 03 May, 2025 10:29 PM

पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में आर्कटिक सर्किल कार्यक्रम में ध्रुवीय क्षेत्रों को भारत के अपने जलवायु भविष्य से जोड़ने व आर्कटिक और हिमालय के बीच गहरे अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालते हुए युवाओं के नेतृत्व वाले नवाचार और वैश्विक...
हमीरपुर (राजीव): पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में आर्कटिक सर्किल कार्यक्रम में ध्रुवीय क्षेत्रों को भारत के अपने जलवायु भविष्य से जोड़ने व आर्कटिक और हिमालय के बीच गहरे अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालते हुए युवाओं के नेतृत्व वाले नवाचार और वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। अनुराग ठाकुर में कहा कि हिमालय में ग्लेशियर झीलों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है, जो अकेले हिमाचल प्रदेश में 2005 में 127 से बढ़कर 2015 में 156 हो गई हैं। यह विस्तार पर्वतीय समुदायों के लिए गंभीर खतरा है।
सिक्किम में हाल ही में ग्लेशियर झील के फटने से आई बाढ़ एक सख्त चेतावनी के रूप में है। भारत न केवल देख रहा है, बल्कि कार्रवाई भी कर रहा है। आर्कटिक जैसी परिस्थितियों वाला लद्दाख, संधारणीय नवाचार के लिए एक परीक्षण स्थल के रूप में उभर रहा है। देश हरित ऊर्जा से संचालित भारत का पहला नाइट स्काई अभ्यारण्य स्थापित कर रहा है और इस क्षेत्र में पहला कार्बन-तटस्थ गांव बनाने की योजना बना रहा है। यह पहल विज्ञान, संधारणीयता और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि आर्कटिक में जो कुछ भी होता है, वह आर्कटिक में ही नहीं रहता। पिघलती बर्फ की परतों से लेकर अनियमित मानसून तक, भारत सुदूर उत्तर में होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को महसूस कर रहा है। आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में 4 गुना तेजी से गर्म हो रहा है और इस तेजी के कारण दुनिया भर में हीट वेव, सूखा, बाढ़ और जैव विविधता का नुक्सान बढ़ रहा है।