Edited By Ekta, Updated: 28 Jun, 2018 04:58 PM
शौक बड़ी चीज है। जब शौक पूरा करना हो तो भले ही आप जिस मर्जी फील्ड में हो। कुछ इसी तरह की कहानी है मंडी जिला के कोटली गांव में रहने वाले डॉ. गौरव ठाकुर की। पेशे से आयुर्वेद के डॉक्टर गौरव ठाकुर (27) गीतकारी का शौक रखते हैं। पिछले 11 साल में उनके कई...
मंडी (नीरज): शौक बड़ी चीज है। जब शौक पूरा करना हो तो भले ही आप जिस मर्जी फील्ड में हो। कुछ इसी तरह की कहानी है मंडी जिला के कोटली गांव में रहने वाले डॉ. गौरव ठाकुर की। पेशे से आयुर्वेद के डॉक्टर गौरव ठाकुर (27) गीतकारी का शौक रखते हैं। पिछले 11 साल में उनके कई गीत लोगों की जुबां पर चढ़ चुके हैं। हाल में सीएम जयराम ठाकुर ने भी उन्हें सम्मानित किया है। गौरव ने 2007 में गीत लिखने की शुरूआत की। इस काम को उन्होंने शौकिया अंदाज में किया लेकिन यह शौक आज उन्हें एक नई मंजिल की तरफ ले जा रहा है। वह अभी तक 100 के करीब गानों को लिख चुके हैं जिसमें अधिकतर पहाड़ी, कुछ पंजाबी और हिंदी गाने भी शामिल हैं। इनके लिखे गीतों को अभी तक डा. कपिल शर्मा, सारेगामा फेम पायल ठाकुर, रचना ठाकुर और टीआर डोगरा जैसे गायक आवाज दे चुके हैं।

यह गौरव के जो गाने फेमस हुए
मुख मोड़े दिल तोड़े, रब्बा वे रब्बा, चम्बे वाली जूती, तरले, ठाणेदार, पूनम और बापू फुआरी मुख्य रूप से शामि हैं। इसका हाल ही में चम्बे वाली जूती गीत काफी फेमस हुआ है। इस गीत के माध्यम से उन्होंने पूरे हिमाचल का वर्णन किया है। हर जिले की खासीयत को कलमबद्ध करके उन्हें एक सूत्र में पिरोया है। यही नहीं गौरव ने शिमला के दर्दनाक युग हत्याकांड का वर्णन भी गीत के माध्यम से किया है। उन्होंने इसपर 8 मिनट का गीत लिखा है और इसके लिए सीएम ने उन्हें हालही में पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया है।

अब इसके गीत एक नई दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। वह ऐसे गानों को लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जो हिमाचल की भाषा को भी प्रमोट करे और लोगों को आसानी से समझ भी आ जाए। यानी ऐसा गीत जिसे हिमाचल के अलावा पूरे देश के लोग सुनें तो उन्हें मालूम हो कि गीत के माध्यम से क्या कहने का प्रयास किया जा रहा है। इस दिशा में गौरव ने काम करना भी शुरू कर दिया है। चम्बे वाली जूती गाना उनका पहला प्रयास है और इसके काफी ज्यादा सराहा भी जा रहा है। गौरव अपने इस शौक को अपने मुख्य पेशे से समय निकालकर पूरा कर रहे हैं। जब भी उनके पास समय होता है तो वह स्थान न देखकर गीतों को लिखने में जुट जाते हैं, ताकि कुछ नया किया जा सके।