Edited By Kuldeep, Updated: 31 Mar, 2025 05:26 PM

मंडी जिला के आराध्य बड़ा देव कमरुनाग ने सोमवार को राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला में भाग लेने के लिए ग्राम पंचायत रोहांडा के गांव मझोठी स्थित कोठी से अपने लाव-लश्कर सहित प्रस्थान किया।
सुंदरनगर (सोढी): मंडी जिला के आराध्य बड़ा देव कमरुनाग ने सोमवार को राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला में भाग लेने के लिए ग्राम पंचायत रोहांडा के गांव मझोठी स्थित कोठी से अपने लाव-लश्कर सहित प्रस्थान किया। देवता लगभग 37 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर सुंदरनगर पहुंचेंगे। बड़ा देयो कमरुनाग के रोहांडा पहुंचने पर उनका देव महासू के साथ महामिलन हुआ, जिसके स्थानीय ग्रामीण साक्षी बने। देव कमरुनाग मंगलवार को सुंदरनगर शहर की सीमा चांबी में पहुंचेंगे, जहां पहुंचने पर देव कमेटी और राज्य स्तरीय देवता मेला कमेटी उनका स्वागत करेगी। सुकेत सर्व देवता कमेटी के प्रधान डा. अभिषेक ठाकुर ने बताया कि देव कमरुनाग 2 अप्रैल को सुकेत देवता मेला के शुभारंभ पर सुबह 11 बजे शुकदेव ऋषि की तपोस्थली शुकदेव वाटिका में पहुंचेंगे और शोभायात्रा में भाग लेंगे।
आराध्य देव कमरुनाग की अनूठी दास्तान
देव कमरुनाग मंडी और सुकेत क्षेत्र की आस्था में रचे बसे हैं। उपमंडल गोहर के कांढी वाले देव कमरुनाग के सूरजपखे में चतुर्भुज स्वरूप में भगवान विष्णु का अंकन मिलता है। वर्ष 1935 में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंद्र सेन ने देव कमरुनाग के हारियानों को सौंपे मखमल के कपड़े पर देव कमरुनाग को इसी देव स्वरूप में उकेरा था। इस सूरजपखे रूप में देव कमरुनाग अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में भाग भाग लेते हैं, वहीं रोहांडा की मझोठी कोठी वाले देव कमरुनाग सुकेत की आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यहां सूरजपखे पर देव कमरुनाग का मुख मोहरे के रूप में है, साथ ही नीचे की ओर 5 अन्य मुख मोहरों का अंकन मिलता है। मान्यतानुसार ये 5 मुख पांडवों के बताए जाते हैं। इस सूरजपखे द्वारा राज्य स्तरीय सुकेत देवता मेला सुंदरनगर में शिरकत की जाती है। एक ही देवता के ये 2 भिन्न स्वरूप इसी प्रकार से अपने-अपने क्षेत्रों में भक्तजनों को आशीर्वाद देते हैं।