Edited By Jyoti M, Updated: 19 May, 2025 10:12 AM

हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में सोमवार की सुबह अचानक आए तेज अंधड़ और बारिश ने भारी तबाही मचाई है। सुबह तड़के आए इस प्राकृतिक प्रकोप ने कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल घाटी में जान-माल का काफी नुकसान किया है।
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में सोमवार की सुबह अचानक आए तेज अंधड़ और बारिश ने भारी तबाही मचाई है। सुबह तड़के आए इस प्राकृतिक प्रकोप ने कांगड़ा, कुल्लू और लाहौल घाटी में जान-माल का काफी नुकसान किया है। जिला कांगड़ा के सुलह और आसपास के इलाकों में अंधड़ ने विशेष रूप से कहर बरपाया।
विकास खंड बडोह की पंचायत खावा में एक दुखद घटना घटी, जहाँ एक विशाल पीपल का पेड़ अचानक गिर गया। इस पेड़ के नीचे दबने से दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। अंधड़ के साथ जोरदार बारिश भी जारी है, जिससे बचाव और राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।
उधर, जिला कुल्लू में भी बारिश आफत बनकर बरसी है। शुश के पास के जंगल में तेज अंधड़ के कारण एक बहुत बड़ा पेड़ गिर गया। इस पेड़ की चपेट में आने से एक भेड़ पालक का अस्थायी टेंट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में छह बकरियों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। पेड़ गिरने के समय टेंट में मौजूद तीन भेड़ पालक बाल-बाल बच गए। इस घटना से भेड़ पालक परिवार को गहरा सदमा लगा है।
इसके अतिरिक्त, जिला कुल्लू की सैंज और बंजार घाटी के कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि भी हुई है। अचानक हुई इस ओलावृष्टि ने सेब के बगीचों और खेतों में खड़ी रबी की फसल को भारी नुकसान पहुँचाया है। किसानों को अपनी मेहनत की फसल बर्बाद होने से काफी निराशा हुई है। बताया जा रहा है कि जिले में तीन घंटे तक लगातार भारी बारिश हुई, जिसके कारण कुल्लू जिले का सामान्य जनजीवन भी बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। सड़कों पर पानी भर गया और लोगों को आवाजाही में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
वहीं, लाहौल घाटी के रोहतांग दर्रा और आसपास की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी हुई है। हालांकि, निचले इलाकों में बारिश का असर देखने को मिला, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई बर्फबारी से तापमान में गिरावट आई है।
स्थानीय प्रशासन प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन करने और राहत कार्य शुरू करने में जुट गया है। मृतकों के परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है, और घायल पशुओं के इलाज की व्यवस्था भी की जा रही है। किसानों को हुए नुकसान का भी जायजा लिया जा रहा है ताकि उन्हें उचित मुआवजा दिया जा सके।