Edited By Kuldeep, Updated: 26 Apr, 2025 06:25 PM

प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा निदेशालय को एक निदेशालय बनाने के सरकार के फैसले के विरोध में शनिवार को हजारों की तादाद में प्राथमिक शिक्षक शिमला पहुंचे और यहां चौड़ा मैदान में सरकार के खिलाफ धरना दिया।
शिमला (प्रीति): प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा निदेशालय को एक निदेशालय बनाने के सरकार के फैसले के विरोध में शनिवार को हजारों की तादाद में प्राथमिक शिक्षक शिमला पहुंचे और यहां चौड़ा मैदान में सरकार के खिलाफ धरना दिया। शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और वायदाखिलाफी का आरोप लगाया। सरकार की चेतावनी के बाद भी शिक्षकों ने धरना दिया। ऐसे में शिक्षा सचिव की ओर से धरने में भाग लेने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करने के आदेश जारी हुए हैं। धरने पर गए शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने और उन्हें सस्पैंड करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही शिक्षकों को कंपलसरी रिटायरमैंट देने को भी कहा गया है। हालांकि इसके बाद भी शिक्षकों का धरना जारी रहा। शिक्षक नेताओं ने वहां उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा है कि एक निदेशालय बनाने पर सरकार ने शिक्षकों को विश्वास में नहीं लिया और इस दौरान जो मांगे संघ की ओर से रखी गई थीं, उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया।
संघ के अध्यक्ष जगदीश शर्मा का कहना है कि सरकार ने इस दौरान प्राइमरी शिक्षा के स्ट्रक्चर को समाप्त कर दिया है। इससे प्राथमिक शिक्षकों का नुक्सान तो है ही, साथ ही छात्रों को भी इसका नुक्सान उठाना पड़ेगा। संघ के शिमला के अध्यक्ष प्रमोद चौहान ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार बदलाव कर रही है, जिसका स्वागत है, लेकिन प्रारंभिक और उच्च शिक्षा निदेशालय को मर्ज कर एक निदेशालय बनाने से शिक्षा में गुणात्मक सुधार के बजाय शिक्षा का बुनियादी ढांचा तहस नहस हो जाएगा। इसको लेकर कई बार सरकार के साथ वार्ता भी हुई है लेकिन परिणाम निराशाजनक ही रहे हैं। ऐसे में अब प्राथमिक शिक्षक विरोध स्वरूप सांकेतिक धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार अगर इस तरह से शिक्षकों को डराएगी तो कल शाम से पढ़ाई को छोड़ कर अन्य सभी ऑनलाइन कार्यों को शिक्षक नहीं करेंगे।
सरकार की नीतियों-निर्णयों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वालों को तुरंत सस्पैंड करने के निर्देश
सरकार की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि शिक्षकों ने चेतावनी देने के बावजूद आंदोलन और सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन और सरकार के नीतिगत निर्णयों के खिलाफ खुला विरोध किया। इसके साथ ही सरकार और विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अवांछनीय और अपमानजनक टिप्पणियां भी की गई हैं। ऐसे में विभाग को निर्देश दिए गए कि आंदोलन में भाग लेने वाले और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले सभी शिक्षकों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसमें स्कूल से उनकी अनुपस्थिति को डाइज-नॉन घोषित करना शामिल है। यानि बिना सेवा, अवकाश के। इसके अलावा, वे सभी शिक्षक, जिन्होंने सरकार की नीति के खिलाफ बात की है और सरकार की नीतियों/निर्णयों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है, उन्हें तुरंत सस्पैंड किया जाए।
सीसीए नियमों के नियम 56(जे) के अनुसार दी जा सकती है कंपलसरी रिटायरमैंट
आदेशों में कहा गया है कि कुछ शिक्षकों ने ऑनलाइन कार्य न करने, ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज न करने तथा मध्याह्न भोजन का कार्य न करने के संबंध में बयान दिए हैं। यदि कोई शिक्षक राज्य सरकार शिक्षा विभाग के आदेशों का पालन करने से इन्कार करता है, तो ऐसे शिक्षकों के मामलों को उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद सीसीएस सीसीए नियमों के नियम 56(जे) के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति (कंपलसरी रिटायरमैंट) के लिए संसाधित किया जा सकता है।
शिक्षकों का क्रमिक अनशन जारी
इस दौरान स्कूल शिक्षा निदेशक को ज्ञापन सौंपने के बाद संघ के पांच पदाधिकारियों ने निदेशालय में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि सरकार की कार्रवाई का जवाब दिया जाएगा।