Edited By Kuldeep, Updated: 12 Jan, 2025 09:25 PM
राज्य सरकार की नाकामियों की वजह से अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो गई है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि पिछले 2 महीने से प्रदेश की ट्रेजरी अघोषित रूप से बंद है, लोग सरकार से अपने ही पैसे निकालने से महरूम हो गए हैं।
शिमला (हैडली): राज्य सरकार की नाकामियों की वजह से अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो गई है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि पिछले 2 महीने से प्रदेश की ट्रेजरी अघोषित रूप से बंद है, लोग सरकार से अपने ही पैसे निकालने से महरूम हो गए हैं। 2 माह से ट्रेजरी बंद पड़ी हुई है और इससे हर प्रकार के भुगतान रुके हुए हैं, जिसकी वजह से प्रदेश का नुक्सान हो रहा है। यहां से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में आज तक ऐसी स्थिति कभी नहीं आई कि इस प्रकार से अघोषित रूप से ट्रेजरी बंद करनी पड़ी हो और आम आदमियों से लेकर तमाम जरूरी सेवाओं व संबंधित ठेकेदारों के भुगतान रुके पड़े हों। आज तक प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं आई कि एसैंशियल दवाओं की सप्लाई भी दवा सप्लायरों ने रोक दी हो।
व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सुक्खू सरकार वह सारे काम कर रही है, जो एक नाकाम सरकार की निशानी होती है। इतनी नाकामी के साथ प्रदेश के लोगों को परेशान करने के बाद भी यह सरकार व्यवस्था परिवर्तन का हवाला देकर वाहवाही लूटना चाहती है। सुक्खू सरकार व्यवस्था पतन की सरकार है, जिसकी नाकामी की कीमत पूरे प्रदेश के लोग चुका रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस समय पूरा प्रदेश सरकार की वजह से परेशानी उठा रहा है। विकास के काम पैसों की कमी के कारण कई माह से ठप्प पड़े हैं। स्कूल जैसे संस्थान बंद किए जा रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सरकार बर्बाद करने पर आमादा है। सुख की सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था का जिस प्रकार बेड़ागर्क हुआ है, वह पूरे प्रदेश से छुपा नहीं है। दवाइयों के पैसे मांगते-मांगते दवा सप्लायरों ने दवाओं की सप्लाई भी अस्पताल में बंद कर दी है।
हिमकेयर के भुगतान रोके जाने की वजह से प्रदेशवासियों को मिलने वाले नि:शुल्क इलाज का रास्ता सरकार बंद कर चुकी है। प्रदेश में जहां भी जाओ लोग सरकार की नाकामी का हवाला दे रहे हैं। सरकार के पास पड़े लोगों के अपने पैसे भी सरकार नहीं दे पा रही है। अस्पतालों में दवाई नहीं है और न ही कर्मचारियों के इलाज के बिल पास हो रहे हैं। ऐसी स्थिति प्रदेश में कभी नहीं आई, जब लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया हो। सुक्खू की सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था पतन और सुख की सरकार के नाम पर दुख की सरकार चला रही है।